Guillian Barre syndrome is such a disorder, in which the patient's body begins to feel shivering or pain, and after that, his muscles begin to weaken.
Breathing becomes weak until the symptoms are detected after symptoms are detected. Many times the patient gets paralyzed.
Guillian Barre syndrome (GBS) muscle weakness begins with hands and feet. Symptoms of this disease take very serious form within half days to two weeks. Many times it becomes so serious that the patient's breathing problems weaken up and he needs mechanical ventilation. This situation can also be deadly.
In some patients, the function of the automatic nervous system changes when it occurs. Due to this change, abnormalities occur in the patient's heart rate and BP, which is extremely dangerous.
Know about many important things related to Guillian Barre syndrome- Reason: Usually our immune system attacks external objects, but when this system accidentally starts attacking the mechanisms of our body, it is called autoimmune disease Is called. Muscular weakness syndrome Gulian Barre syndrome is also autoimmune disease, in which accidentally our body's immune system starts attacking our peripheral nervous system. Because of this, the milekin sheath of the peripheral nervous system is damaged or weakened.
When this happens, the nerves can not get the signals received from our body from one place to another. Due to this, the ability of the brain to show the response to the command of the brain, which starts to weaken.
These are the commands, which are very important to catch the nervous network and to move from one place to another. Not only this, our brain also receives very little sensory signals from the body due to this reason. As a result, the patient's ability to feel texture, heat, pain and other sensations, i.e. sensation, affects the content.
Symptoms: At the time of this illness, the symptoms of the patient's body, especially in hands and feet, are numbness, shivering, needle in the fingers, feeling prick and pain. As far as pain is concerned, more than half of patients feel pain in the body. After this the patient starts feeling weakness in his hands and feet. These symptoms of the disease are seen on both sides of the body and over time they get worse. Many times the patient is also having difficulty running because of this reason. Neck muscle may also be affected when this disease occurs.
In half patients, cranial nerves located in the head and face are also affected, causing muscle weakness in their face and the face becomes swollen. Eyes muscles also weaken. Because of this, problems arising in talking, chewing, and swallowing of the eyes or face rotates. Sometimes there is sharp pain in the lower part of the spinal cord. Other symptoms include bleeding from the bladder, rapid heart beat, difficulty breathing etc.
This also causes paralysis. The symptoms of the disease begin with the feet and go upwards ie the first hand and then affect the fingers. Its symptoms are increasing very fast. These symptoms take a very serious form within half-day to two weeks, and become permanent. In one of the five patients, this weakness of the hands and feet of the body persists for four weeks.
In approximately 8 percent of people, this disease only affects the feet. When the tingling of the legs or claws reaches the upper part of the body When chaos or weakness starts growing rapidly, if there is trouble in breathing or when lying on the back of the back, if the breath starts shortening, then immediately show the doctor. Treatment: The doctor should immediately contact the symptoms immediately after the symptoms appear. Under this method of plasma pheresiser treatment, antibodies present in our blood, which, instead of attacking external substances, are attacking nerves in the body instead of attacking the disease, they are expelled from the body. Under this, the blood of the patient's body is taken out by a machine.
When the machine removes antibodies from the blood, then the extracted blood is returned to the patient's body. Fact: Men are more affected than this disease. Nearly 30 percent of people in Asia and 65 percent of people in Central and South America get into this disease.
गुलियन बैरे सिंड्रोम एक ऐसा विकार है, जिसमें रोगी के शरीर में पहले सिहरन या दर्द होने लगता है और फिर उसके बाद उसकी मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं।
लक्षण पता लगते ही इलाज न होने पर ब्रीदिंग मसल्स तक कमजोर हो जाती है। कई बार मरीज को लकवा तक हो जाता है.
गुलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) मांसपेशियों के कमजोर होने की शुरुआत हाथ और पैरों से होती है। इस बीमारी के लक्षण आधे दिन से लेकर दो सप्ताह के भीतर ही काफी गंभीर रूप अख्तियार कर लेते हैं। कई बार तो यह इतनी गंभीर हो जाती है कि रोगी की ब्रीदिंग मसल्स तक कमजोरी हो जाती है और उसे मेकेनिकल वेंटिलेशन की जरूरत पड़ जाती है। यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।
कुछ रोगियों में इसके होने पर आॅटोमेटिक नर्वस सिस्टम के फंक्शन में बदलाव आ जाता है। इस बदलाव के कारण रोगी के हार्ट रेट और बीपी में असामान्यताएं आ जाती हैं, जो बेहद खतरनाक है।
जानते हैं गुलियन बैरे सिंड्रोम से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों के बारे में- कारण : आमतौर पर हमारा इम्यून सिस्टम बाहरी चीजों पर आक्रमण करता है, लेकिन जब यह सिस्टम गलती से हमारे शरीर की कार्यप्रणालियों पर ही आक्रमण करना शुरू कर देता है तो उसे आॅटोइम्यून डिजीज़ कहा जाता है। मांसपेशियों की कमजोरी की बीमारी गुलियन बैरे सिंड्रोम भी आॅटोइम्यून डिजीज़ है, जिसमें गलती से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता हमारे पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर आक्रमण करने लगती है। इस वजह से पेरिफेरल नर्वस सिस्टम की माइलीन शीथ क्षतिग्रस्त या कमजोर हो जाती है।
ऐसा होने पर नर्व्स हमारे शरीर को मिलने वाले संकेतों को सही तरीके से एक से दूसरी जगह पहुंचा नहीं पाती हैं। इस कारण मस्तिष्क के आदेश यानी ब्रेन के कमांड पर प्रतिक्रिया दिखाने की मांसपेशियों की क्षमता कमजोर पड़ने लगती है।
ये वो कमांड होते हैं, जिन्हें नर्व नेटवर्क को पकड़ना और एक से दूसरी जगह पहुंचाना बेहद जरूरी होता है। इतना ही नहीं, हमारा मस्तिष्क भी इस वजह से शरीर से बहुत कम संवेदी संकेतों को ग्रहण कर पाता है। नतीजा, रोगी को टेक्सचर यानी किसी भी चीज की बनावट, गर्मी, दर्द और दूसरी अनुभूतियां यानी सेंसेशन को महसूस करने की क्षमता प्रभावित हो जाती है।
लक्षण : इस बीमारी के होने पर सर्वप्रथम रोगी के शरीर, खासकर हाथों व पैरों में सुन्नपन, सिहरन, अंगुलियों में सुई-सी चुभन महसूस होना, दर्द होना आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जहां तक दर्द की बात है तो लगभग आधे से ज्यादा रोगी शरीर में दर्द को महसूस करते हैं। इसके बाद रोगी अपने हाथ और पैरों में कमजोरी महसूस करने लगता है। रोग के ये लक्षण शरीर के दोनों तरफ बराबर से नजर आते हैं और समय के साथ ये बदतर होते जाते हैं। कई बार रोगी को इस वजह से चलने में भी परेशानी होने लगती है। इस बीमारी के होने पर गर्दन की मांसपेशी भी प्रभवित हो सकती है।
आधे रोगियों में सिर और चेहरे में स्थित क्रेनियल नर्व्स भी प्रभावित हो जाती है, जिससे उनके चेहरे की मांसपेशियों कमजोर हो जाती है और चेहरा सूज जाता है। आंखों की मांसपेशियों भी कमजोर हो जाती है। इस वजह से आंखों या चेहरे को घुमाने बात करने, चबाने और निगलने में भी परेशानी होने लगती हैं। कभी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है। अन्य लक्षणों में ब्लेडर से कंट्रोल हट जाना, दिल का तेजी से धड़कना, सांस लेने में परेशानी होना आदि शामिल है।
इस कारण लकवा भी हो जाता है। रोग के लक्षण पैरों से शुरू होकर ऊपर की तरफ जाते हैं यानी पहले हाथ और फिर उसके बाद अंगुलियों को प्रभावित करते हैं। इसके लक्षण बहुत तेजी से बढ़ते जाते हैं। ये लक्षण दिखाई देने के आधे दिन से लेकर दो सप्ताह के भीतर बेहद गंभीर रूप धर लेते हैं और स्थायी हो जाते हैं। पांच में से एक रोगी में हाथ-पैरों यानी शरीर की यह कमजोरी चार सप्ताह तक बनी रहती है।
तकरीबन 8 प्रतिशत लोगों में यह बीमारी केवल पैर को प्रभावित करती है। जब पैरों या पंजों की झनझनाहट शरीर के ऊपरी हिस्से तक पहुंच जाए। जब झनझनाहट या कमजोरी तेजी से बढ़ने लगे, सांस लेने में परेशानी हो या पीठ के बल लेटने पर सांस छोटी आए, तब तत्काल डाॅक्टर को दिखाएं। उपचार : इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करना चाहिए। प्लाज्माफेरेसिसर उपचार की इस विधि के तहत हमारे रक्त में मौजूद एंटीबाॅडीज़ जो इस बीमारी के होने पर बाहरी पदार्थों पर आक्रमण करने की बजाए शरीर में स्थित नर्व्स पर ही आक्रमण करने लगती हैं को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। इसके तहत रोगी के शरीर के रक्त को एक मशीन के द्वारा बाहर निकाला जाता है।
जब मशीन रक्त से एंटीबाॅडीज़ को बाहर निकाल देता है तब निकाले गए रक्त को रोगी के शरीर में वापस चढ़ा दिया जाता है। फैक्ट: पुरुष इस बीमारी से अधिक प्रभावित होते हैं। एशिया में करीब 30 फीसदी लोग और मध्य व दक्षिण अमेरिका में 65 फीसदी लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं.
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