अगर नूपुर शर्मा के बोलने से छप्पन देश छटपटा रहे थे मजहब खतरे में आ गया तो अब भगवा लपेटने वाली को नंगा करने से कैसे आजादी छीन गयी क्या अभिव्यक्ति की आजादी सिर्फ भांड़ मंडली को है तो फिर हलाला पर और काले तंबू में लपेटकर कर बनाएं फिल्में जरूरी नहीं मनोरंजन के लिए हिन्दू धर्म रीति रिवाज परम्पराओं और संस्कृति को उपयोग कर उपहास किया जाए।
जब तक हिन्दू विरोधी फिल्म बनती रहेंगी तब तक बहिष्कार चलना चाहिए वैसे भी फिल्म देखकर पैसे बर्बाद करने से अच्छा है किसी गरीब को दो वक्त रोटी खिला दी जाए।
मुझे नहीं लगता फिल्म समाज युवा पीढ़ी को कुछ शिक्षा देती हो हां इतना जरूर है फिल्म समाज में बढ़ते अपराध की जड़ है।