मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
किसी भी लक्ष्य की आधि प्राप्ति तो कार्य करने के लिए बने रहने वाली आशा और उत्साह का संचार ही है। जब मनुष्य अपने मन में लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संकल्प लिए चलता है तब मार्ग में आने वाली बाधाओं, तकलीफों का प्रभाव कम होता रहता है, क्योंकि उसे निरंतर अपने -आप ही से मंजिल तक पहुंच सकने का निश्चय मिलता रहता है। भंवरी प्रोत्साहन का अपना महत्व होता है, किंतु मनुष्य जब तक खुद को प्रेरित नहीं करें तब तक लाख अनुकूलताएॅ एवं शुभ अवसर सामने हो, लक्ष्य की प्राप्ति असंभव प्राय: ही रहती है। यदि कोई विद्यार्थी यह मान लें कि अमुक परीक्षा उसके बूते से बाहर की बात है तो अच्छी-अच्छी पुस्तकों का अंबार और अच्छे- अच्छे नोट्स उसके लिए निष्प्रयोज्य ही सिद्ध होंगे। इसी प्रकार यदि घातक बीमारी में व्यक्ति अपने भीतर उससे सूजने का संकल्प धरना कर ले तो उसकी अपनी जिजीविषा उसमें नवीन पुराणों का संचार एवं रोग से लड़ने की शक्ति पैदा कर देती है। दरअसल मन का संकल्प शरीर की मांसपेशियों की कसावट लेकर प्रकट होता है और फिर उनसे जिंदगी का समर जीतने में मदद मिलती है। इसलिए जीत का संबंध शारीरिक- भौतिक सामर्थ्य की तुलना में मानसिक धारणा से अधिक है। इसलिए कहा जाता है मन के हारे हार है मन के जीते जीत है।
*********English translation ********
The losers of the mind are lost, win the win of the mind
The goal of any goal is to communicate the hope and enthusiasm that will continue to work. When a person makes a resolve to achieve the goal in his mind then the effect of the obstacles and troubles in the path goes down, because he constantly decides to reach the destination on his own. Bhanvari Promotions have their own importance, but as long as man does not inspire himself, there are millions of favorable and auspicious opportunities in front of him, the achievement of the goal remains almost impossible. If a student believes that such a test is out of his way, then the quality of good books and good notes will prove to be useless for him. Similarly, if a person takes a pledge to swallow him within a fatal illness, then his own life creates the power to fight the disease and disease of the new mythologies in it. In fact, the resolve of the mind appears with the muscles of the body and then helps them win the summer of life. Therefore, the connection to victory is more than physical perception than physical-physical strength. Therefore it is said that the defeat of the mind is the victory of the mind.
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