यह तस्वीरें आपको याद दिला रही होगी कुछ वक्त पहले की एक तारीख की। वह तारीख जो रहस्य के पन्नों में कैद हो गई। एक घटना जो दुनिया के लिए एक पहेली बन चुकी है। एक सफर जो आज तक गुमनामी की राह पर है। एक तलाश जो आज तक जारी है। एक सवाल जो आसमान में आज भी उड़ान भर रहा है। कि आखिर कैसे एक विमान 239 यात्रियों के साथ गायब हो गया ? आखिर क्यों आज तक इस विमान की किसी को खबर नहीं मिली? आखिर क्या हुआ था उस दिन? यह कुछ ऐसे सवाल है कि जिसके उत्तर में सिर्फ संभावनाएं मौजूद है। लेकिन क्या किसी सवाल का जवाब महज किसी आशंकाओं से दिया जा सकता है?
8 मार्च 2014 को मलेशिया का बोइंग एयर लाइनर फ्लाइट नंबर 370 मलेशिया के कुआलालंपुर से बीजिंग के लिए रवाना हुआ। लेकिन उड़ान के 1 घंटे बाद ही रडार से गायब हो गया। लेकिन वह विमान कहां गया यह एविएशन की दुनिया की सबसे बड़ी मिस्ट्री बन के रह गया। क्या वह विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया या फिर उस विमान को हाइजैक कर लिया गया था या फिर 8 मार्च को उस विमान के साथ एक बड़ी साजिश ने भी उड़ान भरी थी।यह रहस्य 4 साल और 12 देशों के सर्च ऑपरेशन के बाद भी आज तक सुलझ नहीं पाया है।
कुआलालंपुर से उड़ान भरने के लगभग 40 मिनट के बाद ही फ्लाइट नंबर 370 ने कुआलालंपुर के एयर ट्रैफिक कंट्रोल को आखरी बार मैसेज किया। लेकिन यह कोई नहीं जानता था कि यह मैसेज फ्लाइट नंबर 370 का आखिरी मैसेज होगा क्योंकि यह मैसेज के 1 मिनट बाद ही कुआलालंपुर के एयर ट्रैफिक कंट्रोल के रडार से यह फ्लाइट नंबर 370 अचानक से गायब हो गया और लगभग उसके कुछ ही सेकंड बाद यह फ्लाइट बीजिंग के रडार से भी गायब हो गया। विमान का ट्रांसपोंडर सिस्टम भी पूरी तरह से काम करना बंद कर चुका था। लेकिन सिविलियन रडार से गायब होने के बावजूद फ्लाइट नंबर 370 अभी भी मिलिट्री के रडार पर नजर आ रहा था। जिससे यह पता चला कि फ्लाइट नंबर 370 ने ट्रांसपोंडर रुक जाने के बाद एक राईट टर्न लिया था और फिर साउथवेस्ट की ओर लेफ्ट टर्न लिया था और 35700 फीट की ऊंचाई पर एक बार फिर से यह विमान को ट्रैक किया गया था। लगातार रेडियो कम्युनिकेशन स्थापित करने के बाद भी किसी को भी कोई खास सफलता नहीं मिली।
फ्लाइट के रडार से गायब होने के बाद फ्लाइट को ग्राउंड टू फ्लाइट फोन कॉल की गई लेकिन फ्लाइट की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद से रात 3:00 बजे से लेकर सुबह 8:30 बजे तक फ्लाइट को छह फोन कॉल की गई लेकिन फ्लाइट की तरफ से किसी भी कॉल रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट नहीं किया गया। सभी को लगा कि शायद फ्लाइट नंबर 370 दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। लेकिन 8:30 बजे एक बार फिर से एयर ट्रैफिक कंट्रोल को फ्लाइट की ओर से कॉल रिक्वेस्ट मिली इसका मतलब था कि वह फ्लाइट अभी भी लापता जगह पर उड़ान भर रही थी।
9 मार्च 2014 को इस फ्लाइट का पता लगाने के लिए कई देशों ने साथ मिलकर एक सर्च ऑपरेशन शुरू किया जिसमें कई हवाई जहाज और नावों ने मिलकर दक्षिणी चीन सागर का चप्पा चप्पा छान मारा। लेकिन उनको इस फ्लाइट का कोई सुराग हाथ नहीं लगा। अगर विमान दुर्घटना ग्रस्त होता तो समुंदर से टकराने के बाद उसका मलबा समंदर में कहीं तो मिल जाता। आखिर ऐसा कैसे हो सकता था कि कोई जहाज समंदर के ऊपर से उड़ते वक्त अचानक से गायब हो जाए? फिर भी उसका कोई नामोनिशान नहीं मिला। किसी भी पुख्ता सबूत के अभाव में सर्च एजेंसी कुछ भी कहने से कतरा रही थी।
फ्लाइट नंबर 370 के गायब होने 3 दिन के बाद एक बार फिर से सर्च ऑपरेशन चलाया गया इस सर्च ऑपरेशन में कुछ ऐसे सबूत हाथ लगे कि जो जहाज के गायब होने पर कुछ प्रकाश डाल रहे थे। जब जहाज में लोड किए गए सामान की लिस्ट की जांच की गई तो पता चला कि उस रात जहाज में बड़ी मात्रा में लिथियम आयन बैटरी लोड की गई थी जिससे यह आशंका जताई गई कि शायद वायुमंडल के दबाव के कारण बैटरी में विस्फोट हो गया होगा जिसके कारण फ्लाइट नंबर 370 दुर्घटनाग्रस्त हो गई होगी। फिर भी एक बड़ा सवाल यह था कि अगर विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है तो उसका मलबा कहां है ?
इससे पहले रिसर्च टीम कुछ नतीजे पर पहुंच पाती एक नया सबूत सामने आया जिसने इस राज को और ज्यादा गहरा दिया। मिलिट्री के रडार से यह पता चला की फ्लाइट नंबर 370 ने उस रात 50 मिनट उड़ान भरने के बाद बीजिंग की और उड़ान न भर के थाईलैंड की और अपनी दिशा बदल दी थी। यह बात एक शंकास्पद बात है क्योंकि अगर विमान ने अपने दिशा बदले थी तो यह जानबूझकर किया गया था। अब सवाल यह था कि अचानक प्लेन ने अपनी दिशा क्यों बदली थी और विमान मिलिट्री रडार की कवरेज से बार-बार क्यों गायब हो रहा था ? तो क्या उस विमान को हाइजैक कर लिया गया था ?
उस रात जहाज का रडार से गायब होने का कारण जहाज में लगे ट्रांसपोंडर का काम न करने को माना जाने लगा। लेकिन किसी भी जहाज में लगे ट्रांसपोंडर का खराब हो जाना एक रेयर घटना मानी जाती है क्योंकि यह ट्रांसपोंडर कभी खराब नहीं होते। तो हो सकता है ट्रांसपोंडर को जानबूझकर बंद किया गया हो। ऐसी सूरत में या तो जहाज के पायलट ने यह खुद किया था या किसी ने जहाज के पायलट से यह जबरन करवाया था।
जहाज की यात्रियों के लिस्ट से एक और बात पता चली के जहाज में मौजूद दो यात्री नकली पासपोर्ट द्वारा जहाज में यात्रा कर रहे थे। अब सभी को यह आशंका होने लगी जहाज को हाइजैक किया गया है। लेकिन अगर जहाज वाकई में हाईजैक हुआ होता तो किसी न किसी संगठन ने इस हाईजैक की जिम्मेदारी ली होती या फिर हाईजैकर्स कोई ना कोई मांग लेकर सामने जरूर आते लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। दोनों यात्रियों के इन्वेस्टिगेशन से यह पता चला कि यह दोनों यात्री ईरान के नागरिक थे जो नकली पासपोर्ट से इस फ्लाइट में यात्रा कर रहे थे। लेकिन इन दोनों की पिछली जिंदगी के बारे मे खोज पड़ताल की गई तो पता चला कि इन दोनों यात्रियों का किसी भी अपराधिक मामले में कोई हाथ नहीं था और ना ही कोई संगठन के साथ वह लोग मिले हुए थे।
तो आखिर उस रात फ्लाइट नंबर 370 के साथ हुआ क्या था वह कौन सी ऐसी ताकत थी कि जिसने इस बड़े जहाज को हवा में ही गायब कर दिया ? आखिर 239 यात्रियों से भरा हुआ विमान कहां और कैसे गायब हो गए ? अगर वह दुर्घटनाग्रस्त हुआ तो उसका मलबा क्यों नहीं मिला ? अगर वह हाईजैक हुआ तो किसी ने भी उसकी जिम्मेदारी क्यों नहीं ली ?
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