जिन किसानों के पास फलदार पौधे हैं उनको केंद्र सरकार के राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन के तहत मधुमक्खी पालन करने के लिए सब्सिडी मिल जाती है। यह बाग उत्पादकों के लिए जानकारी का एक अच्छा अतिरिक्त स्रोत हो सकता है।
मधुमक्खी पालन के लाभ
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मधुमक्खी पालन सकारात्मक पारिस्थितिक परिणाम है। फूलों के कई पौधों के परागण में मधुमक्खियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इस प्रकार यह सूरजमुखी और विभिन्न फलों आदि कई फसलों की पैदावार बढ़ाती है।
शहद एक स्वादिष्ट और अति पौष्टिक भोजन है। पारंपरिक विधि से शहद प्राप्त करने के लिए मधुमक्खी की कई जंगली कालोनियों को नष्ट कर दिया जाता है। बॉक्स में मधुमक्खियों को पाल कर और घर पर शहद बना कर इसे रोका जा सकता है।
मधुमक्खी पालन व्यक्तिगत या समूहिक रूप से शुरू किया जा सकता है।
शहद और मोम का बाजार मूल्य उच्च है।
योजना के लाभ
चार किसानों का एक समूह, जिनके पास एक दूसरे के साथ लगती जमीन हो, को जुडने की जरूरत है। इसे क्लस्टर कहा जाता है।
जो किसान अधिकृत एजेंसियों से मधुमक्खी पालन में प्रशिक्षण ले चुके हैं, उन्हें सब्सिडी लाभ देते समय प्राथमिकता दी जाती है।
लाभार्थी को जमीन का मालिक होना चाहिए और उसका नाम भूमि के 7/12 उद्धरण पर होना चाहिए। जमीन में एक बगीचा जरूर होना चाहिए।
छोटे भूमि धारकों/ अनुसूचित जाति/ महिला किसानों के रूप में पंजीकृत किसानों को सब्सिडी में प्राथमिकता मिलेगी।
नाभिक स्टॉक उत्पादन (जो कि एक मधुमक्खी कॉलोनी स्थापित करने का मतलब है) का अनुमानित खर्च लगभग 20 लाख हैं। यह सब्सिडी सार्वजनिक स्थानों के लिए दी जाती है और वह भी बड़े क्षेत्रों के लिए। सब्सिडी की रकम 100% या अधिकतम राशि 20 लाख तक हो सकती है।
एक मधुमक्खी ब्रीडर से बक्सों और मधुमक्खियों की खरीद के लिए अनुमानित खर्च लगभग 10 लाख रुपये है। अधिकतम सब्सिडी 40% या अधिकतम 4 लाख है।
प्रति बॉक्स व्यय 2000 रुपये है। अधिकतम सब्सिडी 40% या 800 रुपए, जो कभी कम हो, है। इस योजना से लाभ के लिए एक व्यक्तिगत लाभार्थी 50 बक्से खरीद सकता है।
शहद निकालने और भंडारण के लिए अनुमानित खर्च 20,000 रुपये है। इसके लिए सब्सिडी की पेशकश 40% या अधिकतम 8,000 रुपए है।
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