वीर कभी अपराधी नहीं होते।
अपने बाहुबल या सामर्थ्य का आमजन के साथ हो रहे अन्याय, उत्पीड़न के विरुद्ध अपने साहस का परिचय देना ही वीरता की पहचान है। 'वीर' व्यक्ति में साहस तथा बल के साथ-साथ लोक- पीड़ा के प्रति संवेदनशीलता, विवेकशीलता, संयम, नैतिकता जैसे चारित्रिक गुणों का होना भी जरूरी है। यदि किसी व्यक्ति के पास शक्ति है और उसे यह ज्ञान ही नहीं कि निर्बल, निहत्थे पर उसका प्रयोग करना अनैतिक है तो वहवीरत्व से रहित प्राणी है।
अपनी ताकत, सामर्थ्य को वीर यदि आततायियो, समाज -कंटकों, देशद्रोहियों को मिटाने में लगाता है तो उसके निमित किया जाने वाला मानव-वध भी समाज के कल्याण के लिए हैं। ऐसे अनगिनत उदाहरण इतिहास के प्रश्नों में भरे पड़े हैं। 'महाभारत' में युद्ध के औचित्य के पीछे यही दर्शन रहा है। अपने बंधु-बांधवों को सामने युद्ध के लिए खड़ा देख जब अर्जुन ने हथियार त्याग दिए तो श्रीकृष्ण ने उसे अपना कर्म करने अर्थात दुर्योधन, शकुनि जैसे साहसी एवं बाल सहज लोगों और उन्हें प्रश्रय देने वाले अपने पितामह, पितातुल्य गुरुजनों का वध कर धर्म का साथ देने के लिए प्रेरित किया था। पांडव अपराधी नहीं बल्कि इसलिए वीर कह जाते हैं क्योंकि उनके पास अपने पूर्वजनों, परिजनों एवं गुरुजनों के विरुद्ध हथियार उठाने का नैतिक कारण मौजूद था। इसलिए कहा गया है कि वीर कभी अपराधी नहीं होता।
**********English translation ********
Veer is never criminal
It is the identity of heroism that is being associated with the masses of its power or power, introducing his courage against harassment. It is also important to have courage and strength in the 'heroic' person, as well as characteristic qualities such as sensitivity to society, discrimination, restraint, morality etc.. If a person has power and it is not knowledge that weak, unethical use of it, then he is a creature without divinity.
If its power, power is used to eradicate brave heroes, socialists, traitors, then the man-slaying which is to be invoked is also for the welfare of the society. Such countless examples have been filled in the history questions. This is the philosophy behind the justification of war in 'Mahabharata'. When Arjuna left his arms to see his brother-in-law waiting for war, Sri Krishna would do it by doing his own work, Duryodhana, Shakuni's courageous and child-friendly people, and their patriotism, paternal Was motivated to give up. Pandavas are not criminals, but they are called heroes because they had a moral right to carry weapons against their forefathers, their relatives and their teachers. That is why it has been said that Veer is never a criminal.
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