पिता की कहानी, जिसने बड़े बेटे को बताया कि पढ़ाई के साथ जिंदगी को देखना-समझना भी जरुरी है।
एक परिवार में दो भाई थे। बड़ा भाई पढ़ने-लिखने में बहुत तेज़ था और अव्वल आता था। वही छोटा भाई पढ़ने-लिखने में थोड़ा पीछे था, लेकिन सामाजिक ज्ञान उसे बड़े से ज्यादा था। बड़ा धीर-गंभीर था, वही छोटा भाई नटखट और चतुर था। दोनों भाइयों को स्कूल की तरफ से पढ़ने इंग्लैंड भेजा गया। बड़ा भाई इंग्लैंड की सर्वश्रेठ यूनिवरसिटी में दाखिला लेकर पढाई करने लगा
वही छोटा भाई ने भी एक नामी कॉलेज में दाखिला लिया और नए दोस्त बनाने लगा।
बड़ा भाई यूनिवरसिटी में पढता और फिर अपने कमरे में बंद होकर अभ्यास करता रहता। वही छोटा भाई क्लास में थोड़ा बहुत पढता, और बाकी पूरा समय इंग्लैंड घूमने तथा वहाँ के लोगो को समझने में लगा देता।
दो साल बाद दोनों भाई घर वापस लौटे, तो उनके पिता ने देखा की बड़ा बेटा तो जैसा गया था, वैसा ही वापस आया है, लेकिन छोटे बेटे में काफी बदलाव देखने को मिला। उसके बोलने का ढंग , उसका आचरण , उसका नजरिया सब बदल गया है। पिताजी ने दोनों बेटे को साथ बैठकर पूछा, इंग्लैंड में आप लोगो ने क्या देखा ?
छोटे बेटे ने सभी जगहों के नाम गिनाने शूरु कर दिए । वही बड़ा बेटा चुपचाप बैठा था। पिता ने छोटे बेटे को चुप कराकर बड़े बेटे से पूछा। बड़ा बेटा बोला , पिताजी, मैं पढ़ने में इतना मसरुफ था कि कही घूमने का मौका ही नहीं मिला। तब पिता जी बोले, बेटा, जैसा तुम्हारे शरीर का हर अंग महत्वपूर्ण है, वैसे ही तुम्हारी जिंदगी का हर अंग महत्वपूर्ण है। जैसे तुम चाहकर भी अपने सारे काम एक हाथ से नहीं कर सकते।
वैसे ही तुम चाहकर भी अपनी ज़िंदगी सिर्फ एक ही पहलु के भरोसे नहीं बिता सकते। पढाई जरुरी है, पर व्यक्तित्व विकास भी उतना ही जरुरी है। जिंदगी के सभी आयामो को बराबरी से जीना चाहिए। तभी संपूर्ण विकास होगा।
Congratulations @iamindian! You have completed the following achievement on the Steem blockchain and have been rewarded with new badge(s) :
Award for the number of upvotes
Click on the badge to view your Board of Honor.
If you no longer want to receive notifications, reply to this comment with the word
STOP
Downvoting a post can decrease pending rewards and make it less visible. Common reasons:
Submit