Hello everyone, i hope you all are good this sketch made by me because i listen a poem today which is related to a girl effort in the life. I share this peom with you
दुनिया का उठाकर बोझ
खुद एक बोझ कहलाई है
हार कर खुशी अपनी
जीत मे भी दु़ख ही लाई है
हाेठाे पर लगाकर हॅसी
आँखो की नमी छीपाई है।
बीवी बनकर किसी का घर बसाया
तकलीफें सहकर माॅ कहलाई है
अधेरे मे रहकर भी रोशनी बनी खुद
फिर भी कयो
ये दुनीया काे नही दिख पाई है
आसमान से ऊॅचा है इसका तसव्वुर
समंदर से गहरी इसकी गहराई है।
फूल से भी नाजुक तन है इसका
पवतो से भी कठोर इसकी परछाई है
पहेली है ये अजीब कितनी
सुलझ कर भी नही सुलझ पाई है
हाय रे ये कैसी किसमत
एक लड़की लेकर आई है।
The line of this poem is very heart touching.
It's really very heart touching 😔😔😊😊
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