गोवर्धन में बड़े ही धूमधाम के साथ निकली मुड़िया शोभायात्रा जिसमे मुड़िया संत ढोल मृदङ्ग की थापों पर नाचते हुए इस प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते हुए नजर आए यात्रा चकलेस्वर से शुरू होकर संपूर्ण कस्बे में निकली
गोवर्धन में लगने वाले मुड़िया मेला आज मुड़िया यात्रा के साथ समाप्त हो गया चकलेस्वर इस्थित श्रीराधा श्याम सुंदर मंदिर से बाबा रामकृष्ण दास जी महाराज के सानिध्य में यह मुड़िया शोभायात्रा निकाली गई जिसमें सभी मुड़िया संत ढोल मृदङ्ग खँजरी की थापों पर नाचते गाते हुए अपने गुरु की याद में इस प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते नजर आए यात्रा राधा श्याम सुन्दर मंदिर से निकली ।
और चकलेस्वर से होते हुए दसविसा हरदेव जी मन्दिर बिजली घर से होते हुए दानघाटी मन्दिर बड़ा बाजार हाथी दरवाजा होकर अपने गंतव्य इस्थान पर पहुंची यात्रा में सैकङों संत महात्मा साधु सन्यासिन एवम इस्थानिय लोगों ने भाग लिया वहीँ यात्रा का जगह जगह स्वागत भी हुआ ।
बतादें की यह परम्परा आज से लगभग 500 साल पहले से चली आ रही है जब माधव गौडीय-सम्प्रदाय के आचार्य श्रीपाद सनातन गोस्वामी श्री चैतन्य महाप्रभु के आदेश पर ब्रजभूमि पधारे तो यहाँ वृन्दावन के बाद गोवर्धन ही उनका भजन-स्थली बना/ सनातन गोस्वामी अपने बालों का मुंडन कर भजन-साधना में लीन रहते थे, इसीलिए सभी उन्हें मुडिया बाबा के नाम से जानते थे गोवर्धन-पर्वत की परिक्रमा करना उनके नित्यकर्म में शामिल था । इसीलिए जब उन्होंने गुर-पूर्णिमा के दिन अपना शरीर छोडा तो गुरु की आज्ञा अनुसार उनके अनुयायियों ने अपने बालों का मुंडन कर मुड़िया शोभायत्रा निकाल गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करी थी ।तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है।