डिप्रेशन के शिकार हत्यारे का सुसाइड नोट !

in hive-168362 •  2 years ago 

आज की कहानी थोड़ी हट के है ये एक एक्सपेरिमेंटल कहानी है आप कॉमेंट में अपने सजेशन जरूर दे कि क्या आप आगे भी ऐसी कहानी पढ़ना चाहते है ?

ये कहानी एक बेटे की है जिसने अपनी ही मां की हत्या कर दी और ओर चार दिन तक अपनी मां के साथ घर में बंद रहा और उन चार दिनों की आप बीती उसने 77 पेज के सुसाइड नोट लिखने के बाद आत्महत्या कर ली तो आइए आज हम जानते है एक हत्यारे की मनोदशा जिसे पता है कि को भी जल्द मरने वाला है ।

“मेरा नाम राहुल है आज गुरुवार 7-9-2022 का दिन है आज श्याम 7 बजे जब मेरी मां बाजार से कुछ सामान लेकर घर आयी तो मैने उनकी हत्या कर दी, जब वो घर आंयी तब पहले तो थोड़ी बात चीत हुई फिर मैने अपनी बाइक का clutch wire निकाला और उनसे हसी मजाक करते हुए उनका गला वायर से घोट कर इस दुख भरी दुनिया से उन्हें आजाद कर दिया में नहीं चाहता था कि उन्हें ज्यादा तकलीफ उठानी पड़े इस लिए मैने clutch wire का इस्तेमाल करना ठीक समझा क्योंकि मैने कही पढ़ा था कि गला दबाने से दिमाग में ऑक्सिजन नहीं पहुंचने से पीड़ा रहित मौत हो जाती है जैसे ही मैने वायर से उनका गला दबाया पहले तो उन्होंने अपने हाथ पैर झटके फिर कुछ 8-10/ सेकंड में निढाल होकर नीचे गिर गई फिर में उनके सिर के पास बैठा ओर मैने उनका सिर अपनी गोद में रखा ओर करीब 10-15 मिनट तक उनके गले को अपने एक हाथ से दबाए रखा ओर दूसरे हाथ से अपने मुंह को बंद किया क्योंकि में बहुत रो रहा था अब तक उनका दिल धड़कना बंद कर चुका था उनकी आंखे खुली हुई थी और उनका चेहरा मुझसे देखा नहीं जा रहा था तो मैने उनकी आंखे बंद करने कि कोशिश की लेकिन वो बंद नहीं हो रही थी मैने एैसे ही अपनी मां के साथ पूरी रात बीत दी इससे पहले भी में तीन रातों से सोया नहीं था, मुझे डिप्रेशन है ये भी मुझे तीन दिन पहले जब मनोचिकित्सक से मिला तब पता चला जब में उनसे मिलने पहुंचा तो उन्होंने मेरे बचपन के बारे में पूछा जिस पर मैने बताया की दस साल की उम्र में मेरे पापा का देहांत हो गया था वो सरकारी नौकर थे और उसके बाद मेरी मा ने ही मुझे पाल पोस कर बड़ा किया हमारी माली हालत बहोत खराब हो गई थी पापा के जाने के बाद इस लिए मा लोगो के घर छोटे मोटे काम करके मुझे पढ़ाया करती थी मेरा कभी कोई दोस्त नहीं बना क्योंकि जब में स्कूल में था तो मैने दो दोस्त बनाएं थे वो भी मेरा मजाक उड़ाते थे उनकी कुछ बाते मेरे दिल में घर कर गई थी इस लिए स्कूल के बाद मैने उनसे मिलना बंद कर दिया ओर फिर कभी किसी से दोस्ती नहीं की, कॉलेज की पढ़ाई मेंने डिस्टेंस से कि क्योंकि मुझे लोगो से मिलना जुलना अच्छा नहीं लगता था कॉलेज खत्म हुआ फिर अचानक मां को कैंसर हो गया में बहुत डर गया था क्योंकि मेरे जीवन में सिर्फ एक मेरी मा ही थी जिनसे में बात कर सकता था ओर वो भी मरने वाली थी में बहुत डॉक्टरो से मिला उनमें से एक ने कहा कि ऑपरेशन से उनकी जान बचाई जा सकती है लेकिन उसमे करीब 10 लाख का खर्चा आएगा मुझे कुछ समझ नहीं आरहा था क्या करू लेकिन मैने हिम्मत नहीं हारी और जॉब करने लगा मेरी तनख्वाह 30000 महीना थी सब ठीक होने लगा था मुझे लगा कुछ सालो में मां के इलाज के लिए पैसे इकठ्ठा हो जाएंगे ।

लेकिन तभी lockdown लग गया इसी बीच जो कुछ पैसे मैने मा के इलाज के लिए इक्कठा लिए वो भी घर खर्चों में खत्म हो गए अब मुझे कुछ भी समझ नहीं आराहा था।

फिर एक दिन इंटरनेट पे मुझे घर बैठे काम करने वालो के बारे में पता लगा जो कुछ रुपए आपसे लेते है ओर आपको टाइपिंग करने का काम देते है मैने वो काम करने का सोचा और 15000 में अपनी आईडी बनवा की लेकिन वो भी एक धोखा निकला वो लोग उल्टे सीधे आरोप लगा कर केस करने के डर से मुझसे पैसे ऐंठने लगे ओर लग भग एक लाख रुपए लेकर मेरा पीछा छोड़ दिया ।ये सारी बाते सुनने के बाद मनोचिकित्सक ने कहा कि तुम्हे डिप्रेशन है ओर कुछ दवाएं देदी ओर में घर आगया ।

घर आने के बाद मुझे चिंता होने लगी अजीब अजीब खयाल आने लगे मन्न में विचार आया कि कहीं भाग जाऊ सब से दूर जहा मुझे कोई जानता नहीं हो लेकिन फिर सोचा वहा जाकर भी क्याही कर लूंगा जब यहा कुछ नहीं कर पाया तो फिर सोचा अपने आप को ही मार डालूं लेकिन अगर में खुद को मार डालूंगा तो बेचारी मेरी मां का क्या होगा उनका खयाल कोंन रखेगा उन्हें समय पे दवा कोन देगा फिर सोचा क्यों ना मां का जीवन भी अपने साथ ही ख़तम कर लूं हां ये ठीक रहेगा इससे भला किसी को क्या परेशानी हो सकती है वैसे भी हमारे लिए दुःखी होने वाला है ही कोन एक बस मां कि दोस्त मधु आंटी वो भी कुछ दिन में भूल जाएंगी सब कुछ ओर फिर तीनों दिनों तक मैने बहुत सोचा ओर आखिर आज मैने फैसला कर ही लिया था कि आज सब कुछ खत्म कर ही दूंगा और में कामयाब हो गया आखिर कर मैने वो कर ही दिया सारे दुखों से मैने मेरी मां को आजाद कर दिया अब मेरी बारी थी अब मुझे भी अपनी जीवन रेखा को ख़त्म करना था ।

आज मेरी मां को मेरे दो दिन बीत चुके है मैने 2 दिन अपनी मां के मृत शरीर के साथ अपने घर के हॉल में बीता दिए मैने अपनी मां के शरीर पर गंगा जल छिड़का उनके पास बैठ कर उन्हें श्रीमद् भगवत गीता के 18 रहवे अध्याय का पाठ करके सुनाया जिससे उनकी आत्मा को शांति मिल सके अब समय था अपनी मौत का सामान खरीदने का में बाज़ार गया ओर मुझे लग रहा था जैसे सभी लोग मुझे घुर रहे थे ओर घुर भी क्यों ना 5 दिन से में ना तो नहाया था ओर ना ही मैने कुछ खाया था ओर तो ओर मैने अपनी का कतल भी तो किया था शायद इसी लिए सभी मुझे घुर जा रहे थे लेकिन मैने किसी किसी को ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया ओर पॉवर टूल्स की दुकान पर जाके इलेक्ट्रॉनिक कटर मांगा लेकिन शायद मेरी दशा को देखते हुए किसी ने भी मुझे कटर नहीं दिया में वापस अपने घर आया ओर ऑनलाइन ऑर्डर किया ओर फिर से अपनी अपनी मां के पास आकर बैठ गया लेकिन मेरी मा की बॉडी से बदबू आने लगी थी शायद बदबू तो कल से ही आरही थी लेकिन उनके साथ इतनी देर बैठे रहने की वजह से मुझे पता नहीं लगा क्योंकि अभी में बाहर जाके आया था इस लिए अभी मुझे बदबू आने लगी थी मैने पेंसिल के बुरादे को जलाया, धूप बत्ती भी जलाई ओर तो ओर घर में एक जायफल थी उसे भी जला दिया लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ इस बदबू के कारण मेरी भी तबियत बिगड़ने लगी थी तो मैने बॉडी को बाथरूम में रख दिया ओर डिओ की पूरी बॉटल बाथरूम में स्प्रे कर दी अब थोड़ा ठीक लग रहा था इन्हीं सब में आज का दिन भी बीत गया ओर में इलेक्ट्रिक कटर के आने का इंतजार करने लगा ।

आज रविवार है करीब श्याम 4 बजे डिलीवरी बॉय ने मेरे घर की घंटी बजाई में डर गया कि को आया है कहीं पड़ोसी को बदबू तो नहीं आगई मैने घर में जितनी भी अगरबत्ती थी सभी एक साथ जला दी और इधर घर की घंटी बार बार बज रही थी फिर मैने हिम्मत करके दरवाजा थोड़ा खोला ओर देखा तो डिलीवरी बॉय था मैने उससे अपना पार्सल लिया और दरवाजा फिर से बंद कर लिया अब समय अागाया था मेरे मरने का लेकिन तभी मेरा फोन बजता है फोन मधु आंटी का था मैने फोन उठाया तो उन्होंने कहा कि तुम्हारी मा कहा है आज रविवार है हमें सत्संग में जाना है, में उन्हें कब से फोन कर रही हूं लेकिन वो फोन नहीं उठा रही इतना सुनते ही मुझसे रहा नहीं गया और में फूट फूट कर रोने लगा आंटी ने पूछा क्या हुआ तुम रो क्यों रही हो तो मैने आंटी से कहा कि मैने अपनी मां को मार दिया ओर अब खुद भी मरने वाला हूं इतना सुनते ही उन्होंने फोन काट दिया अब क्या, शायद वो पुलिस को फोन करेगी नहीं नहीं में पुलिस के हाथ नी लग सकता मैने फिल्मों में देखा है पुलिस बाहोत मारती है अब मुझे ये सब जल्दी करना होगा मुझे जो कुछ बताना था में बता चुका हूं उम्मीद है दुनिया मुझे माफ कर देगी मेरे बाद मेरी बाइक ओर मेरा घर मधु आंटी को दे दिया जाए क्योंकि इस दुनियां में को ही है जिन्हे हमारे मरने का दुख होगा ।

अलविदा

राहुल कटिहार”

ये था राहुल का कन्फेशन इधर मधु ने पुलिस को फोन कर घटना कि जानकारी दी मोका- ए- वारदात पर पहुंची तो वहां का नजारा देख कर सन्न रह गई वहा पूरे फर्श पर खून ही खून बिखरा था एक लगभग 25 साल के लड़के की लाश पड़ी थी जिसके पास चालू इलेक्ट्रिक कटर पड़ा था । थोड़ी जांच के बाद एक लाश ओर मिली जो कि सड़ना चालू हो चुकी थी और टेबल पे रखी एक डायरी जिसके 77 पन्नों पर लिखी थी एक डिप्रेस्ड हत्यारे के सुसाइड की कहानी ।

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