महाकुंभ, 2025 - प्रयागराज 🏺(संतों का महासमागम)

in hive-179660 •  2 months ago  (edited)

आज का विषय कुछ खास है और बहुत ही अदभुत भी। आज मैं बात करने वाला हूं एक ऐसे ऐतिहासिक मेले के बारे में जिसने वर्ल्ड रिकॉर्ड्स भी बनाए हैं। जो दुनिया में आयोजित होने वाला सबसे बड़ा मेला है जिसमें लाखों नहीं करोड़ों लोग शामिल होने आते हैं। जी हां मैं बात करने जा रहा हूं महाकुंभ मेले की जो कि जनवरी 2025 में लगने जा रहा है प्रयागराज में। मैं उम्मीद करता हूं यह पोस्ट पढ़ने के बाद आप इस महाकुंभ मेले में घूमने के बारे में एक बार जरूर सोचेंगे।

1000047708.jpg
महाकुंभ, 2025

महाकुंभ, 2025 की तैयारियां


प्रयागराज में इस बार आयोजित होने वाले महाकुंभ मेला क्षेत्र की विशालता के कारण इसकी शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए इसे एक नया जिला घोषित कर दिया गया है। इस तरह अब उत्तर प्रदेश में 76 जिले हो गए हैं। 76 वें जिले का नाम महाकुंभ मेला जनपद हैं। इस जिले में 4 तहसीलों के 76 गांव भी शामिल हैं। मेला क्षेत्र को 25 सेक्टरों में विभाजित किया गया है।

मेले का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी के बीच होगा। इस मेले में 1 लाख टेंटो की व्यवस्था की गई है। आधुनिक तकनीकों जैसे बहुभाषी चैटबॉट, कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाले कैमरे आदि की व्यवस्था की गई है। इस बार श्रद्धालुओं को डिजिटल महाकुंभ के भी दर्शन होंगे। साथ ही स्पेशल-55 के रूप में कुंभ फेलो का भी चयन किया जाएगा। ये फेलो मेले के प्रबंधन, डिज़ाइन, संरचना और निगरानी के विभिन्न कार्यों में मेला अधिकारियों का सहयोग करेंगे।

मेले में विश्व के अलग अलग जगहों से विभिन्न प्रकार के साधु, संत और योगियों का आगमन होता है। मुख्य आकर्षण के केंद्र होते हैं नागा साधु। साधुओं के द्वारा विभिन्न प्रकार चमत्कार भी दिखाए जाते हैं।
मेले में कल्पवास करने के लिए भी लाखों लोग एक महीने तक यहीं निवास करते हैं।

1000047725.jpg
इस कुंभ की कुछ झलकियां

कुंभ का ऐतिहासिक महत्व


पौराणिक कथाओं के अनुसार दुर्वासा ऋषि के श्राप से देवता कमजोर पड़ गए थे और राक्षसों ने उनपर हमला कर परास्त कर दिया था। देवता अपनी शक्ति पुनः प्राप्त करने के लिए उपाय खोजने लगे थे। भगवान विष्णु ने उनसे कहा कि समुद्र के मंथन से अमृत की उत्पत्ति होगी जिसको पीने से सभी देवताओं की शक्तियां वापस मिल सकती हैं। लेकिन उसके लिए राक्षसों की भी मदद लेनी पड़ेगी। अतः सभी देवताओं और राक्षसों में संधि हुई की अमृत को आपस में बांट लिया जाएगा। तब सभी लोग मंदार पर्वत में शेष नाग को लपेट कर मंथन करना शुरू कर दिए। मंथन के फलस्वरूप मां लक्ष्मी, कामधेनु, विष आदि के साथ अमृत की उत्पत्ति हुई। अमृत को राक्षसों को देना घातक हो सकता था इसलिए देवताओं ने उन्हें अमृत न देकर खुद पी गए। लेकिन इसके लिए देवताओं और राक्षसों में भयंकर लड़ाई हुई थी जिसमें 4 बूंदे धरती के चार स्थानों हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिरी और तब से यहां की नदियों के जल को अमृत समान माना गया। और इन्हीं स्थानों पर बारी बारी प्रति 12 वर्षों में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। साथ ही 6 महीने में अर्धकुंभ का आयोजन भी किया जाता है। 144 वें वर्ष में माना जाता है कि स्वर्ग में भी महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। और इस बार महाकुंभ, 2025 यही महाकुंभ है।

1000047709.jpg
समुद्र मंथन

कुंभ को लेकर मेरी तैयारियां


इससे पहले 2013 में कुंभ का आयोजन किया गया था। मैं अपने जीवन का पहला कुंभ मेला देखने जा रहा हूं। मैं इस बात से उत्साहित हूँ की मै 40 करोड़ लोगों के उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में समागम का साक्षी बनाने जा रहा हूँ। उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या लगभग 25 करोड़ है जबकि इसके एक शहर में ही लगभग 40 करोड़ लोग इकट्ठा होने वाले हैं। यह अपने आप में ही एक अद्भुत बात है। मैं और मेरे दोस्त हर रोज घूमने का प्लान बना चुके हैं। साथ ही गांव से भी बहुत लोग स्नान करने और घूमने आएंगे। मेले में ढेर सारी खरीदारी करने का भी मन बनाया है हमने। साथ ही यदि कोई ऐसा व्यक्ति मिलता है जिसकी मदद की जा सके तो उसके लिए भी मानसिक रूप से हम तैयार हैं हालांकि सरकार ने काफी व्यवस्थाएं कर रखी हैं पर आम नागरिकों का सहयोग भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

तो इंतजार करिए कुंभ के शुरू होने का और उसके साथ ही मेरी पोस्ट का जिसमें कुंभ के अलग अलग दिनों की अपडेट आपको मिलती रहेगी। आप भी आइए प्रयागराज इस महाकुंभ में🙏💐☺️
CC: @steemcurator01 @steemcurator02 @steemchiller

लेखक1000024158.gif
शीर्षकमहाकुंभ, 2025 - प्रयागराज 🏺(संतों का महासमागम)
दिनांक24 दिसम्बर, 2024
योगदान10% to @hindwhale
Authors get paid when people like you upvote their post.
If you enjoyed what you read here, create your account today and start earning FREE STEEM!
Sort Order:  
Loading...