Heart Touching Poetry - Old Building "बूढ़ी इमारत" (Hindi Poetry)

in hive-196725 •  3 years ago 

Hello Friends, I hope you all are well and healthy. Stay in your home and be safe, enjoy your life.

"बूढ़ी इमारत"

बूढ़ी इमारत की तरह रोज टूट कर बिखर रहा हु मैं....
कई बार मरम्मत करता हूं.....
पर ना जाने रोज कुछ न कुछ टूट जाता है......
कभी दिल ...कभी ख्वाइशे... तो कभी सपने....
जो अपने हुआ करते थे कभी वो भी ना रहे अब अपने....
गिरती इमारत की धूल के गुबार की तरह...
लोगो के तानों को सजाता हूं अपने दिल में.....
कोशिश है कि खुश रखूं उनको...
पर न जाने क्यों उनको खुश करते करते खुद टूट जाता हूं मैं......
कई बार तो मेरा दिल ही मुझसे पूछता है....
जनाब कब तक नकली हंसी हसोगे....
कभी तो असल में रो भी लिया करो....
गैरो को छोड़ कभी अपने लिए भी जी लिया करो..
पर कहाँ मिलता जिंदगी में सुकून अपने लिए....
हम तो गिरती इमारत के उस
पुरानी मिट्टी धूल की तरह हैं जो सिर्फ उड़े ही जा रही है...
किसी दिन निकल जायेगी ये हवा.....
और हम निकल जायेंगे नए सफर की तरफ .....
एक नई इमारत के लिए।।।।।

Enjoy the poetry

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I hope you like it.

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Very heart-touching poetry!

Thanks

@arvindkukar nice lines

Thanks

I really enjoy poetry ,it’s great 👍
Well done and keep it up


This is a beautiful looking photo full of clouds.
Thanks for sharing your diary with us


Nice post
#affable

Thanks