खबरों के मुताबिक पिछले 15 सालों से भारत की ऐसी नीति रही है कि भारत में आई घरेलू आपदाओं से बचने के लिए वे खुद की सरकार से ही मदद लेगी. इसका मतलब ये हुआ कि अगर भारत के किसी भी राज्य में कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो उसकी मदद केंद्र सरकार करेगी या फिर देशवासी करेंगे. इसलिए केरल सरकार को केंद्र सरकार से ये बात बताई गई है कि अगर विदेश से किसी ने भी केरल को आर्थिक मदद के लिए प्रस्ताव भेजा तो वे उन्हें विनम्रता के साथ मना कर दें. आपको बता दें कि केरल में आई आपदा को देखते हुए यूएई के अबू धाबी के वलीअगद शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी को फोन किया और वे केरल को 700 करोड़ की सहायता देना चाहते थे लेकिन सरकार ने उन्हें धन्यवाद देते हुए मना कर दिया.
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इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार मौजूदा केंद्र सरकार पूर्व सरकार द्वारा बनाई गई नीति का पालन कर रही है. साल 2004 में जब तमिलनाडु में सुनामी आई थी तब उस समय के प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत ऐसी स्थिति खुद संभाल सकती है लेकिन अगर जरूरत हुई तो वे दूसरे देशों से मदद लेंगे. उसके बाद बीते 14 सालों में भारत ने रूस, अमेरिका और जापान मदद लेने से इंकार किया है. साल 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़, साल 2005 में आई जम्मू-कश्मीर में आए भूकंप और साल 2014 में कश्मीर में आई बाढ़ के समय भी दूसरे देशों से भारत ने मदद नहीं ली थी.
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