: प्याज व टमाटर की कीमतों में उतार-चढ़ाव के लिए किसानों ने सरकार को दोषी ठहराया है, क्योंकि सरकार प्याज या टमाटर के लिए भंडारण क्षमता में वृद्धि करने में नाकाम रही है। जिसके परिणामस्वरूप बम्पर उत्पादन से सब्जियां सदी हैं या केवल व्यापारियों ने इससे फायदा उठाया है।
भारत भर में कई क्षेत्रों में टमाटर की खुदरा कीमतें 100 किलोग्राम के पार हैं। मध्य प्रदेश के नीमच-मंदसौर क्षेत्र में किसानों को प्याज की भरपूर फसल के लिए बेहतर कीमतों की मांग को लेकर पुलिस की गोलियों का सामना किया और सड़कों पर अपना माल डंप करना पड़ा था। विरोध प्रदर्शन ने शिवराज सिंह चौहान सरकार को प्याज की खरीद 8 रुपये प्रति किलो करने के लिए मजबूर कर दिया।
मई में, मंदसौर के थोक बाजार में टमाटर का औसत मूल्य 500-700 रुपये प्रति क्विंटल था। अगस्त के पहले सप्ताह में, यह 4,500 रुपये तक पहुंच गया। इसी प्रकार, इसी अवधि के दौरान प्याज की कीमत लगभग 400 रुपये से 800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।
इससे किसानों को कोई लाभ नहीं हो रहा अपितु बिचौलिये व्यापारी ही फायदा उठा रहे हैं। छोटे और सीमांत किसान जो कि कृषक समुदाय का 85% हिस्सा हैं, वे शायद ही कभी उच्च कीमतों का लाभ उठाते हैं। इसका कारण यह है कि कीमत में उतार-चढ़ाव का लाभ लेने के लिए