जीवन का सौन्दर्य : संयम | Beauty of Life: Restraint

in life •  6 years ago 

जीवन का सौन्दर्य : संयम (Beauty of Life: Restraint)

मानव प्राणी जगत में एक श्रेष्ठ और सर्वज्येष्ठ है इसका जीवन सर्वतोभावेन सार्थक तभी होगा, जब उसमे संयम का दिव्य प्रकाश जगमगा उठेगा । यदि जीवन में संयम का अभाव है तो वह जीवन सौरभरहित सुमन के समान है । यह स्पष्ट है कि मनुष्य एक महकता हुआ पुष्प है और उस पुष्प की सुगन्ध संयम है । संयम देहरी दीप की तरह है जो मानव के अन्तरंग और बहिरंग दोनों तलों को प्रकाशित करता है । यदि उसके जीवन में संयम का प्रकाश विलुप्त हो गया है तो सुनिश्चित है कि उसके जीवन में दुःख का अंधकार सघन रूप से व्याप्त होगा ।
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संयम जीवन का अनुपम सौन्दर्य है, और मन का अमित माधुर्य है । जहां संयम है वहां वस्तुतः जीवन है । एक चिन्तनशील आचार्य ने अपने अनुभव के आधार पर संयम के विषय में संक्षेप में कितना सुंदर कहा है –

“संयम: खलु जीवनम् ।”

जीवन की यथार्थता संयम की सुदृढ़ भूमिका पर आधारित है । सुरम्य प्रासाद तभी सुखदायी होगा, जब उसकी नींव सुदृढ़ होगी । वृक्ष तभी स्थिर रहेगा, जब उसकी जड़ मजबूत होगी । ठीक उसी प्रकार संयम भी मानव जीवन का मूल मंत्र है और उसकी नींव है ।

संयम की विविध आयामी विवेचना हुई है जिनमें मूलतया दो हैं – योग संयम और इन्द्रिय संयम । योग संयम में योग के त्रिविध उपादानों की गणना की गई है यथा – मन संयम, वाक् संयम, काया संयम । इन्द्रिय संयम के अन्तर्गत – शोत्रेंद्रिय संयम, चक्षु इन्द्रिय संयम, ध्रानेंद्रिय संयम, रसनेन्द्रिय संयम और स्पर्शनेंद्रिय संयम ।

संयम के इन आठ प्रकारों में सर्वप्रथम मन-संयम पर बल दिया गया है । मन यदि संयमित रहा तो जीवन का सारा क्रम सुव्यवस्थित रहेगा और वह विकासशील भी रहेगा । मन यदि संयम की सीमओं को तोड़कर इधर-उधर दूषित प्रवृत्तियों में घूमता रहा, भटकता रहा तो जीवन वस्तुतः अन्धकार पूर्ण होगा । अशान्ति की ज्वालाओं से दग्ध हुए बिना नहीं रहेगा ।

मनोसंयम का अर्थ है मन की दुष्प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाना । इसका अभिप्राय यह है कि मन एक मत्त गजराज के समान है । और उसका अंकुश संयम है और इस अंकुश का धारक महावत हमारी आत्मा है ।

संयम एक ऐसी परम निर्मल जलधारा है जो हमारे जीवन-चादर पर आच्छादित रजकण को प्रक्षालित कर देती है । मन को उज्जवल बना देती है । ऐसा जीवन वास्तव में समग्र जीवन होता है । संयम का अभाव जिस जीवन में है वह अपूर्ण अयथार्थ व अशुद्ध जीवन है । संयमरहित जीवन की संज्ञा हमारे आर्ष पुरुषों ने मृत्यु की संज्ञा से अभिहित किया है । हमारी जो प्राणशक्ति ऊर्जा है वह संयम शुन्यता की अवस्था में निर्जीव-सी हो जाती है । हमें ऊर्जा संयम से ही प्राप्त होती है अत: संयम जीवन का दूसरा पर्याय है । एक प्रश्न है – किन् जीवनम् ? इसे समाधान के आयाम में ढ़ालते हुए कहा कि यद् दोष विवर्जितं ? जो दोष रहित संयममय है वही जीवन है, असंयम मूर्च्छा है, मृत्यु है ।

जीवन में यदि संयम का अस्तित्व सुरक्षित है तो जीवन उपवन के समान है और यदि जीवन में संयम न रहा तो वह जीवन उपवन नहीं वन है । बिना संयम के धर्म की कल्पना भी नहीं की जा सकती । धर्म और संयम का इतना संश्लेषणात्मक सम्बन्ध है कि इन्हें एक-दुसरे का पर्याय भी कहा जा सकता है ।

सारत: यही निरूपण है कि संयम एक शिखर है और संयम उस शिखर पर अमृत भरा स्वर्ण कलश ।

The English translation of this post by the help of google language tool is :
Human beings are the best and the best in the world, its life will be meaningful only when the divine light of abstinence will arise. If there is a lack of restraint in life then that life is like a solar eclipse Suman. It is clear that a man is a pleasant floral and the fragrance of that flower is restraint. Samyama is like the Dehi Deep, which publishes both the inner and outer layers of the human. If the light of restraint has become extinct in his life, then it is certain that the darkness of sadness in his life will be densely populated.

Samyama is the unique beauty of life, and Amit is the melody of mind. Where there is abstinence, there is virtually life. On the basis of his experience, a contemplative teacher has said in a very short way about restraint -

"Patience: Khalu Jivanm."

Reality of life is based on the strong role of restraint. The picturesque Prasad will be happy only when its foundation will be strong. The tree will remain stable only when its root is strong. In the same way restraint is also the basic mantra of human life and its foundation.

Various dimensional explanations of abstinence have occurred, in which there are basically two - Yoga restraint and sense restraint. Yoga restraints have been compiled in three different types of yoga such as mind restraint, speech restraint, body restraint. Under the sense restraint - exercise of restraint, restraint, restraint, restraint and restraint restraint.

The first of these eight types of restraint has been stressed on restraint. If the mind is restrained then the whole order of life will remain orderly and it will also be developed. If the mind was breaking through the boundaries of restraint and swirling around the contaminated tendencies, and wandering, life would be virtually full of darkness. Unsteady flames will not remain without the fire.

Manosyamam means curbing the bad thoughts of the mind. It implies that the mind is like a Matara Gajraj. And his curb is restraint and the holder of this curse Mahavat is our soul.

Restraint is such a pure stream which bleeds the sunlight over our life-sheet. Makes the mind bright. Such a life is actually a whole life. The absence of restraint in life is incomplete worthless and impure life. The name of the merciless life has been named by the names of our men. Our Jyotishakti energy which becomes energyless, becomes restless in the state of zeroness. We get energy only through restraint, so restraint is the second alternative of life. There is a question - which life? Liking it in the dimensions of the solution, said that the defect is broken? The one who is free from bliss is life, incontinence is unconscious, death is death.

If life's abstinence is safe in life, then life is like a living and if life does not have restraint, then life is not a forest. The religion of no restraint can not be imagined. There is such a synthesis of religion and restraint that they can be called synonyms of each other.

In essence: this is the representation that restraint is a peak and restraint is the nectar filled golden urn on that peak

Steeming जीवन में संयम का महत्त्व

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Soudhya beauty parlour in front of mehta's house. By the way nice article guru lage raho.

इंसान अपने जीवन में सबकुछ प्राप्त कर सकता है अगर उसके अंदर संयम हैं। बिना संयम के मनुष्य में सिर्फ क्रोध और अहंकार का भाव विद्यमान होता है। हमारे जीवन मे चमक तभी आ सकती है जब उसमे संयम का मिलाप हो जाये। लालच न करना संयम का दूसरा तत्व है। जीवन को चलाने के लिए संयम का होना बहुत जरूरी है।

धन्यवाद @mehta ji हमें अपने जीवन के जरूरी तत्व बताने के लिए।

सत्य ही है कि संयम से ही मनुष्य अपने जीवन सब कुछ प्राप्त कर सकता है .

Kya baat hai @mehta bhai.. Shai kaha agar aane mann ko santulit kar liya jaye too hum kuch bhi prapt karne me saksham hai ..

Hmm

इंसान के जीवन में परेशानी की सबसे बड़ी बजह जल्दी है? हमारी नाकामयाबी की सबसे बड़ी बजह , हमे हर काम का तुरंत परिणाम चाहिए, जो की संभव नहीं.
सयम, समझ ,सोचबिचार और दृढ़ निश्चय से ही कामयाब हो सकते है.

हाँ आपकी बात सही है इसलिए ही तो मनुष्य को संयम रखना चाहिए. इससे उसके सभी काम सिद्ध हो जाते है.

@mehta संयम जीवन का अनुपम सौन्दर्य है, और मन का अमित माधुर्य है । जहां संयम है वहां वस्तुतः जीवन है । बिल्कुल सही बात है ,खेल नौकरी हर जगह सयम की बहुत जरुरत होती है !

सही बात है लेकिन इस जमाने में मन को विचलित करने के बहुत सारे साधन उपलब्ध हैं। जैसे कि टीवी, मोबाइल, थियेटर इस लिए मन को सयंमित करना बहुत ही कठिन है।

यदि आप ठान ले तो कुछ भी मुश्किल नहीं है और यह तो बहुत छोटी सी बात है. हाँ आजकल की सोच में बहुत बड़ी हो सकती है परन्तु असल में कोई बड़ी बात नहीं है.

धन्यवाद @mehta ji आपने सत्य कहा !
संयम स्वयं से प्यार करने का एक उपाय है। योगानुसार जिस व्यक्ति में संकल्प और संयम नहीं वह मृत व्यक्ति के समान है। ऐसा व्यक्ति ‍जीवनभर विचार, भाव और इंद्रियों का गुलाम बनकर ही रहता है। संयम और संकल्प के अभाव में व्यक्ति के भीतर क्रोध, भय, हिंसा और व्याकुलता बनी रहती है, जिसके कारण उसकी जीवनशैली अनियमित और अवैचारिक हो जाती है।

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Yahi ek achhe Jeevan ki pehchan hai ki jitna hanare pass hai utne me hi hum khus rhe aur dusro ko khush rakhe.
Satisfaction is the Best way to be happy.

Posted using Partiko Android

अपने मन को काबू कर लिया तो समझो ईश्वर प्राप्त हो गए। अपने मन को काबू करना भी अपने-आप में एक बहुत बड़ी बात है।
असली मानव वही जो मन को काबू में रखे।

@mehta सही कहा सर जी आपने -संयम के इन आठ प्रकारों में सर्वप्रथम मन-संयम अधिक महत्वपूर्ण है क्यूकि मन ही सबसे ज्यादा चंचल होता है और मन से बलवान भी कोई चीज नहीं तभी तो कहा गया है मन के हारे हार है मन के जीते जीत, जो व्यक्ति किसी काम को करने से पहले अगर मन में हार मान लेता है तो उसको कोई भी उस काम में सफल नहीं करा सकता और जो व्यक्ति अपने मन में अपनी जीत मान कर कोई काम करता है तो उसको कोई हरा नहीं सकता।

   धन्यवाद् सर आप के एक और ज्ञान वर्धक अध्याय के लिए

saiyam ek jivan jine ki mahatvapurn kala h. jisne is kala ko sikh kar apne jivan me palan kiya wo hamesha shukhi rup me apna jivan kushalta purwak ji leta h. wahi jo iske vipreet hota h wo hamesa apne jindagi ki kathinaio se jujhta rahta h. kabhi bhi sukh chain ki prapti ni kar pata h

सफल होनेके लिये इन्द्रिय को नियन्त्रण कर्ना बहुत जरुरत है @mehta g

नमस्कार मेहता जी, संयम जैसे संवेदनशील विषय पर आपका ये लेख निश्चय ही बहुत ही उत्तम है, मुझे आपका ये लेख बहुत ही अच्छा लगा आगे भी आपसे इसी तरह के लेख की कामना करता हूँ। आपका पाठक

mehta ji,,,,,...apne ati uttam lekh h apka

right hae ek ensan he hae jo je sab kar sakta hae

Hi k

hi

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बहुत ही अच्छा सुविचार है

Mehta Saab wanted to work along side with you let me know if we can do something together thank you

‌‌‌सत्यम शिवम सुन्दरम

Hi @mehta sir I have already reader all ur posts ..sab jivan se bhari , Insaan Ko jeena ka Prerna Dene Vali ye blogs Insaan on ke bohot kaam aa Sakti hai..and sob Ko motivated kar Sakti hai.

God bless u

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इंसान को सयम रखना बहुत जरूरी है बिना संयम के कुछ भी नही है sir आपकी इस पोस्ट को पढ़ कर बहुत अच्छा लगा sir आप steemit के ऊपर बहुत अच्छी earning कर रहे हो हमारी भी कुछ हेल्प कर दो plz

बहुत ही अच्छा सुविचार है

क्रोध को मारकर संयम से काम लेने पर मनुष्य अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता है I

@mehta Its a really a Great Post and You have done great work and its clearly can be seen you have done hard work to write up this Post - Best of Luck

Congratulations @mehta!
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From where you get such content?

@mehta
बाधाओं का मतलब है कि आप वास्तव में क्या लायक हैं! गलत!

प्रतिबंध वास्तव में अनुशासन को परिभाषित करता है। देखें, मानव इच्छाएं अनगिनत और काफी उचित हैं और इन सभी इच्छाओं का पीछा करना न केवल असंभव बल्कि मूर्खतापूर्ण है। आपको एक स्मार्ट विकल्प बनाना है जिसके लिए आगे बढ़ना है और कौन से जाने देना है। और यह वह जगह है जहां संयम आता है

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Shi

namskar mehta ji apki sabhi post bahut achi hai kirpa ek baat btaye apki hr post ir bad content ka msg kyu aa rha hai .i am new on steemit kindly guide me. and plz intouch me

Dear " bad content " ek spam user hai .Steemit me block facility nahi hai.He is now using bot .Jab bhi @mehta koi post karenge ,ye bot automatic comment me post hoga .Because bot is feeded to that.

Iam also having problem with that .

Just ignore it

Mehta ji is one of best blogger in hindi .

Namskar bhaiya thanks apny ans diya. pr itni achi post pr bhi yh bad content msg kyu ata hai khi mehta ji ko blacklist na krde .mujhe bhi kiya hua hai hutta hi nahi rhy .kitni bhi achi post dalo bad content aur cheetah ka msgana hi ana hai .please guide me blacklist se kaise bahr aye bhai.

Bhai us bad content wale ko , blacklist karne ka koi tarika nahi hai .Ab tak mujhe to nahi mila .Bas use ignore karo .Steemit me user block option nahi hai.Agar use block kiya ya down vote kiya ,to tumhara hi nuksaan hoga.
So just ignore that post .
Aur jaha tak cheetah ka sawal hai ,wo net se hun bhi copy kiye content ko padta hai.Agar jayada bar kiya to steemit tumhe block kar dega .
Yaad rakna jab bhi koi post karo to usme kuch badlav karna.Jaise heading aur content ko thoda edit karna.Cheetah ka kaam hi copy paste pakadna hai .
So keep blogging stay safe