आज के बदलते युग में लोग इस प्रकार व्यावार कर रहे हे जेसे इस संसार में सचाई इमानदारी सहायता जेसा कुछ हे ही नहीं बस किसी तहर अपना काम निकालो और अपना किया फायदा हे यही देखते चाहे उस से किसी कुछ नुक्सान कियो न हो आज के व्यापारिक युग में निस्वार्थ सेवा जेसे लुप्त होता जा रहा हे कभी कभी तो इंसान अपने लोभ में इतना डूब गया हे की वो अपनो को भी नुक्सान पहुंचा सकता हे
RE: समाज-सेवा : प्रभु-सेवा (अंतिम भाग # २) | Community Service : God Service (Final Part # 2)
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समाज-सेवा : प्रभु-सेवा (अंतिम भाग # २) | Community Service : God Service (Final Part # 2)
आपकी बात सत्य है परन्तु इसका मतलब ये कतई नहीं है कि हम अपने अच्छे कार्य करना बंद कर दे. हमें अपने सही कार्य करते रहने चाहिए.
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एकदम सत्य कहा आपने कोई कुछ भी करे परन्तु हमे अपने अच्छे कार्य करने चाहिए और हम सभी को ये भी ध्यान में रखना चाइये की हम जो कर्म करेगे उसके प्राश्चित भी हमे इसी धरती पर करना होगा।सचाई इमानदारी के रास्ते कठिन जरूर होते है पर वही रास्ते हमारे लिए अच्छे होते है और दोस्तो में स्टीमीट में नया हूँ तो मेरी पोस्ट भी पढ़ें और अच्छी लगे तो upvote भी करे धन्यवाद दोस्तो
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