रूस में चल रहे विश्व कप फ़ुटबॉल का शुक्रवार (15 जून) दूसरा दिन था. 15 जून को तीन मैच हुए, लेकिन दुनिया भर के फ़ुटबॉल प्रशंसकों की निगाह जिस मैच पर थी, वो था पुर्तगाल और स्पेन का मैच.
स्टार खिलाड़ियों वाली टीमों के बीच मुक़ाबला टक्कर वाला और रोचक होना था और हुआ भी यही. आख़िरकार ये मुक़ाबला 3-3 से बराबरी पर छूटा.
इस मैच के बाद जिस खिलाड़ी की सबसे ज़्यादा चर्चा हो रही है, वो हैं पुर्तगाल के कप्तान और दुनिया भर में लोकप्रिय रोनाल्डो, जिन्होंने गोल की हैट्रिक लगाई और अपनी टीम को एक अंक दिलाने में कामयाब रहे.
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विलेन बनने के बाद बने हीरो
लेकिन आज हम बात करेंगे उस खिलाड़ी की, जिसकी कहानी एक अधूरे सपने के पूरे होने जैसा है. वो खिलाड़ी, जो मैच के पहले चार मिनट में विलेन बन गया था.
लेकिन मैच ख़त्म होते-होते वो खिलाड़ी किसी हीरो से कम नहीं था. नाम- जोसे इग्नैसियो फ़र्नांडिज़ इग्लेसियस. लेकिन फ़ुटबॉल की दुनिया में उसे नाचो के नाम से जानते हैं.
उनकी उम्र है 28 साल. दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित फ़ुटबॉल क्लब रियाल मैड्रिड के डिफ़ेंडर हैं.
शुक्रवार को पुर्तगाल के ख़िलाफ़ एक अहम मैच में नाचो पहले चार मिनट में ही विलेन बन गए थे.
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उनके फाउल के कारण पुर्तगाल को पेनल्टी मिली और कप्तान रोनाल्डो ने गोल करके स्पेन के ख़ेमे में निराशा की लहर दौड़ा दी.
लेकिन नाचो के लिए ये मैच वो क्षण लेकर आया, जो वो कभी नहीं भूलना चाहेंगे. कोस्टा ने स्पेन की ओर से गोल करके स्कोर बराबर कर दिया था. लेकिन हाफ़ टाइम से पहले रोनाल्डो ने एक और गोल करके स्कोर 2-1 कर दिया.
दूसरे हाफ़ में एक बार फिर स्पेन के तारणहार बनकर आए कोस्टा, जब उन्होंने एक और गोल करके अपनी टीम को बराबरी पर ला दिया.
अभी स्पेन के कैंप में जश्न चल ही रहा था कि मैच का वो मौक़ा आया, जिसने नाचो और उनके प्रशंसकों को नाचने और झूमने पर मजबूर कर दिया.
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जब नाचो ने किया करिश्मा
दूसरे हाफ़ में स्पेन की टीम पुर्तगाल पर हावी थी और एक के एक आक्रमण कर रही थी. ऐसा ही एक मौक़ा उस समय आया, जब पुर्तगाल के गोल बॉक्स से गेंद उछलते हुए नाचो के पास पहुँची.
टीम के लेफ़्ट बैक नाचो के लिए यह एक परफ़ेक्ट मौक़ा था, उन्होंने शानदार हाफ़ बॉली लगाई और गेंद हवा में घूमती हुई पुर्तगाल के दाएँ गोलपोस्ट से टकराई और घूमते हुए नेट में पहुँच गई.
स्पेन के खिलाड़ी नाचो को चूम रहे थे, उन्हें गले लगा रहे थे. स्टेडियम में उनके प्रशंसकों का मन ये शानदार गोल देखकर भीग गया था.
हो भी क्यों न नाचो का अपने देश के लिए पहला अंतरराष्ट्रीय गोल था. ये सच है कि पुर्तगाल के कप्तान रोनाल्डो ने अपनी टीम की ओर से मैच के आख़िरी क्षणों में गोलकर मैच बराबर कर दिया. वे मैच के स्टार भी रहे और मैन ऑफ़ द मैच भी रहे लेकिन सच पूछिए तो नाचो का गोल लंबे समय तक लोगों को याद रहेगा.
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सपना पूरा करने के लिए किया संघर्ष
फ़ुटबॉल के कई जानकार कह रहे हैं कि शायद नाचो का ये गोल स्पेन के लिए इस विश्व कप का सबसे बेहतरीन गोल भी साबित हो.
एक फ़ुटबॉल खिलाड़ी के रूप में स्पेन में नाचो बड़ा नाम है और उनके छोटे भाई एलेक्स भी फुटबॉलर हैं. लेकिन लंबे समय तक नाचो ने दुनिया को ये नहीं बताया कि इस मुकाम तक पहुँचने के लिए उन्होंने कितनी परेशानियाँ झेली हैं.
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2016 में नाचो ने दुनिया को ये बताया कि वे 12 साल की उम्र से ही टाइप-1 डायबिटीज़ से लड़ रहे हैं. ऐसी बीमारी जो उनका करियर ख़़त्म कर सकती थी. उस समय वे रियाल मैड्रिड की यूथ टीम में ट्रेनिंग ले रहे थे.
डॉक्टरों ने कह दिया था कि वे कभी फ़ुटबॉल नहीं खेल सकते. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने संघर्ष जारी रखा और फिर जब उन्होंने दोबारा डॉक्टरों से सलाह ली, तो उन्हें कहा गया कि वे अपना सपना पूरा कर सकते हैं.
लंबे समय तक नाचो इंसुलिन की किट लेकर मैदान में जाते थे. प्रैक्टिस करते, इंसुलिन लेते और फिर प्रैक्टिस में रम जाते.
धंधा पानी
ये 2002 की बात है, जब नौ साल बाद रियाल मैड्रिड की सीनियर टीम में उन्हें जगह मिली, तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था. युवा के रूप में नाचो ने जो सपना देखा था, वो पूरा हो रहा था.
नाचो का उदाहरण उन बच्चों के लिए भी एक सबक है, जो विभिन्न मेडिकल कंडीशन के कारण अपना सपना पूरा नहीं कर पाते. नाचो ने एक बार कहा था- डायबिटीज़ का मतलब ये नहीं है कि बच्चे सामान्य जीवन नहीं जी सकते, खेल के कारण तो मुझे डायबिटीज़ पर जीत हासिल करने का मौक़ा मिला.
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नाचो जब युवा थे, वे ज़िनेदिन ज़िदान को अपना आदर्श मानते थे. और एक समय ऐसा भी आया, जब निराशा के दौर से निकलकर उन्होंने अपना सपना पूरा किया. ज़िदान के मैनेजर रहते रियाल मैड्रिड की ओर से खेलना उनके जीवन का बेहतरीन क्षण था.
फ़ुटबॉल किट के साथ इंसुलिन किट लेकर मैदान पर आने वाला वो खिलाड़ी आज स्पेन का स्टार खिलाड़ी है.
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