"माँ मालकिन है मेरे घर की
पर नौकरानी की तरह लगी रहती है,
हम कहते हैं, माँ के पैरों में जन्नत है
पर शायद ही कभी पाँव दबवाती है वो,
माँ के ही खून से बना है ये शरीर
पर कभी उसने नही कहाँ
कि तुम पर सिर्फ मेरा अधिकार है,
माँ हमारी अभलाषाएँ पूरी करने को
अपना पूरा जीवन खपा देती है
पर अपने जीवन की अभिलाषाओं
का ज़िक्र भी नही करती
ऐसी होती है माँ..."
- शक्ति