मुंशी प्रेमचंद की जीवनी / कहानी Munshi Premchand Biography Hindi

in munshi •  6 years ago 

मुंशी प्रेमचंद हिंदी गद्य के महान कहानी कार के रूप में विख्यात थे | इनका जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस से चार मील दूर ‘लमही’ नामक गांव में हुआ था | इनके बचपन का नाम ‘धनपतराय’ था | इनके पिता ‘अजायब राय’ जो डाकखाने में ₹ 20/- मासिक वेतन पर कार्य करते थे | इनकी माता का नाम ‘आनंदी देवी’ था | जब प्रेमचंद आठ (8) वर्ष के थे तो उनकी माता का देहांत हो गया और बाद में इनके पिता जी ने दूसरा विवाह कर लिया | घर की आर्थिक स्थिति सामान्य होने के कारण इनकी प्रारम्भिक शिक्षा एक मदरसे में मौलवी साहब के द्वारा प्रारम्भ की गयी | वे मदरसे में उर्दू और फारसी पढ़ने जाते थे | बाद में इनका नाम हाईस्कूल में लिखवाया गया | कुछ समय पश्चात 15 वर्ष की अवस्था में उनके पिता ने उनका विवाह करवा दिया | इनकी पत्नी उम्र में इनसे बड़ी थी, विवाह के एक साल पश्चात ही इनके पिता का देहान्त हो गया | पिता का देहान्त होने के बाद इनके जीवन में बहुत बुरा प्रभाव पड़ा, घर का सारा बोझ इन्हें संभालना पड़ा | इन्हें स्वयं ही पांच लोगों का खर्च उठाना पड़ा |
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           कुछ वर्ष ट्यूशन पढ़ाने के बाद वर्ष 1900 में उन्हें बहराइच के सरकारी जिला स्कूल में सहायक शिक्षक के पद के लिए प्रस्ताव मिला। इसी बिच उन्होंने अपना कथा लेखन भी शुरू किया था।  इन सारी परेशानियों में भी वे अपने साहित्य प्रेम को नहीं रोक सके और उपन्यास लिखना प्रारंभ कर दिया | इन्होने एक स्कूल में 18 रुपए मासिक वेतन पर अध्यापक की नौकरी कर ली |

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               कुछ समय बाद यह सरकारी स्कूल के अध्यापक बन गए | अनेक विद्यालयों में अध्यापन कार्य करने के बाद वे  कवि  के पद पर नियुक्त हुए और इस समय तक इन्होने उर्दू में कहानियां लिखना प्रारंभ कर दिया था | इनकी रचनाएं ‘जमाना पत्र’ में प्रकाशित होने लगी | उन्होंने 100 से भी ज्यादा छोटी कहानियाँ(Short Stories) लिखी है और 12 से भी अधिक उपन्यास (Novels)लिखी है।वे अपने आरंभिक उर्दू के साहित्यिक लेखों में, भारत के विभिन्न भागों में चल रहे भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलनों के विषय में लिखा करते थे। बाद में उन्होंने हिंदी में अपना लेखन आरंभ किया।
              बहुत जल्द उन्हें लोगों द्वारा सबसे ज्यादा चाहने वाले छोटी कहानी लेखकों और उपन्यासकारों में गिना जाने लगा। उनके लेखों में एक अलग जी बात थी क्योंकि उनके लेख ना सिर्फ लोगों को मजेदार लगते थे बल्कि उनसे समाज को भी कुछ अच्छा सन्देश और ज्ञान मिलता था।

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उपन्यास (munshi premchand novels in hindi) – गोदान, गबन, कर्मभूमि, निर्मला, वरदान, प्रेमा आदि |

कहानियां (munshi premchand stories in hindi) – नमक का दरोगा, पूस की रात, एक आंच की कसर, कौशल, ईदगाह, पंचपरमेश्वर, कफन, मुबारक बीमारी, मंदिर और मस्जिद, कर्मों का फल, जुलूस, ईर्ष्या, सभ्यता का रहस्य आदि|

to be continued....

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बेहद अच्छी जानकारी दी अपने मुंशी जी के बारे में। मैं आपके आर्टिकल हमेशा पढता हूँ..ाओसे ही लिखते रहे।
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