Rainy ride and Google sir (बरसात का सुहाना सफर और गूगल महोदय)

in nature •  6 years ago 

Dear friends
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I have come here to roam in Bhopal district of Madhya Pradesh.
Bhopal, which is the capital of Madhya Pradesh.
Is a very beautiful district and the king is the city of banquet.
It is also called the city of lakes.
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It is rainy season since this morning and it is raining heavily.
While taking some consideration, we took the pleasure of the weather and went out to see the Ganesh temple at Sehore, 35 kilometers away.
We were walking on the road between light rain.
First of all, let's go to see the beautiful lake of Bhopal and the statue of Raja Bhoj located there.
The statue of King Bhoja, in fact, seemed like a Chakravarti emperor that it would be alive now.
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After this we boarded our bike and headed towards Sehore.
Vehicles on both roads and roads were running like they were competing between them.
Our bike was not less than anybody and it was desperate to get back to our destination after several consecutive vehicles.
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The rain was also continuing, and once faster, it was giving us a sign that we would stay somewhere. But we were constantly moving towards the temple while enjoying it and after about an hour we reached Ganesh temple and made a visit to Ganesh ji.
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Lord Ganesha, who was surrounded by devotees at all times, also got some free look because of rain, and we have seen him well.
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After staying awhile, we were again going to the destination. By now my beloved daughter had also woken up completely, who had been sitting behind me with my mother on my bike and was enjoying the rain.
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While returning, the rain started getting a little faster and we walked on our bike without any hesitation. By wrapping my daughter in a raincoat and being fully convinced that she will not be scorched with water we were going away.
Then the rain started to swell. Soon after, we saw a dhaba on the way and put our bike there.
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We sat under the roof of Dhabbei and we put our daughter lying on the couch on the bed on the bed where she had gone asleep till now.
We used to make tea for Dhabaab and till as long as we were making dhaba tea, I took off my shirt and squeezed it well and put the girl nearby to dry on the chair.
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Then came the dhaba tea and we took rain and enjoyed rain. In the midst of this happiness I also got some beautiful photos.
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Looking at the rainy season I took another tea cup.
After some time when the rain was a bit lighter then you took your daughter and took off.
On the way we searched our route with the help of Google Map, Google Sir showed us the shortest route and we got out on the way as told by Google Sir.

Now there was no one other than Google to tell us the way. We also went on to believe in Google and we found that the path was completely different from the crowd and was full of panoramic views.
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We were enjoying the weather on the way and capturing the scenic scenes in our camera.
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So far the rain had stopped completely and our daughter was also thrilled to enjoy this season.
After some time we saw the bird's view and stopped the bike and started capturing the look of the camera in my camera.
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My daughter made us very excited by screwing her smile between this adorable shade.
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In this way, we have reached our destination while enjoying rain and taking help from Google sir.
In fact this has been a memorable day for us and Google has helped us a lot in this.
I am sharing pictures of this journey with all friends,
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please share your thoughts with me.
Thank you.

प्रिय मित्रों,

मैं आज-कल मध्य प्रदेश के भोपाल जिले में घूमने के लिए आया हुआ हूं।
भोपाल जो की मध्य प्रदेश की राजधानी है।
एक बहुत ही सुन्दर जिला है तथा राजा भोज की नगरी है।
इसे झीलों की नगरी भी कहा जाता है।
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आज सुबह से ही बरसात का मौसम है और रिमझिम बारिश हो रही है।
तभी कुछ विचार करते हुए हम मौसम का लुत्फ उठाते हुए यहां से 35 किलोमीटर दूरी पर स्थित सीहोर के गणेश मंदिर के दर्शन के लिए निकल पड़े।
हम रास्ते में हल्की-हल्की बारिश के बीच चल रहे थे।
सबसे पहले चलते चलते भोपाल की सुंदर झील और वहां स्थित राजा भोज की मूर्ति का देखने के लिए रूके।
राजा भोज की मूर्ति वास्तव में एक चक्रवर्ती सम्राट के रूप में ऐसा लग रहा था कि यह अभी जीवंत हो उठेगी।
इसके बाद हम अपनी बाइक पर सवार हुए और सीहोर की ओर चल दिए।
दोनों और सड़कों पर वाहन ऐसे चल रहे थे जैसे उनके बीच प्रतिस्पर्धा हो रही हो।
हमारी बाइक भी किसी से कम न थी और लगातार कई वाहनों को पीछे करती हुई अपने गंतव्य पर पहुंचने को बेताब हो रही थी।
बारिश भी निरन्तर हो रही थी और कभी तेज होकर हमें यह संकेत दे रही थी कि हम कहीं ठहर जाएं। पर हम निरंतर इसका आनंद लेते हुए मंदिर की ओर बढ़ रहे थे और लगभग 1 घंटे के बाद हम गणेश मंदिर पहुंचे और गणेश जी के दर्शन किए।
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हर समय भक्तों से घिरे रहने वाले भगवान गणेश जी भी आज बरसात की वजह से थोड़े फ्री नजर आए और हमने उनके अच्छी तरह दर्शन किए।
कुछ समय ठहर कर हम लोग पुनः अब गंतव्य की ओर रवाना हुए। अब तक मेरी प्यारी पुत्री भी पूरी तरह जाग चुकी थी जो अब तक अपनी मां के साथ मेरी बाइक पर मेरे पीछे बैठी थी और बरसात का आनंद ले रही थी।
लौटते वक्त बारिश में थोड़ी तेज होने लगी थी और हम बिना रुके अपनी बाइक पर चल दिए थे। अपनी पुत्री को रेनकोट में लपेट कर और पूरी तरह आश्वस्त होकर की वह पानी से भीगेगी नहीं हम चले जा रहे थे।
तभी बारिश और तेज होने लगी। तभी जल्दी से हमने रास्ते में एक ढाबा देखा वहां पर अपने बाइक को लगाया।
हम ढाबे वाली की छप्पर के नीचे बैठ गए और हमने अपनी पुत्री को जो कि अब तक सो चुकी थी को पलंग पर वहीं पास में बिछी खटिया पर लेटा दिया।
हमने ढाबे वाले से चाय के लिए का और जब तक ढाबा वाला चाय बना रहा था तब तक मैंने अपनी शर्ट को उतार कर अच्छी तरह निचोड़ लिया और वहीं पास में लड़की हुई कुर्सी पर सुखाने के लिए डाल दिया।
इसके बाद ढाबा वाला चाय लेकर आया और हमने चुस्कियां लेते हुए बारिश का आनंद लिया। इसी आनंद की बीच में मैंने कुछ मनमोहक फोटो भी लिए।
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बारिश के मौसम को देखते हुए मैंने एक और चाय का प्याला ले लिया।
कुछ देर बाद जब बारिश थोड़ी हल्की हुई तो तुमने अपनी पुत्री को गोद में लिया और रवाना हो गए।
रास्ते में हमने Google मैप की की सहायता से अपना मार्ग खोजा तो Google महोदय ने हमें सबसे छोटा रास्ता दिखाया और हम Google महोदय के बताए रास्ते पर निकल पड़े।
अब हमें रास्ता बताने वाला केवल Google के अलावा कोई नहीं था हम भी Google पर विश्वास करते चल दिए थे और हमने पाया कि रास्ता एकदम भीड़-भाड़ से अलग और मनोरम दृश्य से भरा था।
हम रास्ते पर मौसम का आनंद उठाते हुए और मनमोहक दृश्य अपने कैमरे में कैद करते हुए चल रही थे।
अब तक बारिश पूरी तरह रुक चुकी थी और हमारी पुत्री भी इस मौसम में आनंद लेने के लिए खिलखिला रही थी।
हमने कुछ आगे चलकर विहंगम दृश्य को देखते हुए अपनी बाइक को रोका और वहां के नजारे को अपने कैमरे में कैद करने लगे।
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मेरी पुत्री ने इस मनमोहक छटा के बीच अपनी मुस्कुराहट बिखेरकर हमें अत्यधिक रोमांचित कर दिया था।
इस तरह हम बरसात का आनंद लेते हुए और Google महोदय की सहायता लेते हुए अपने गंतव्य पर पहुंच चुके थे।
वास्तव में यह हमारे लिए यादगार दिन रहा और Google महोदय ने इसमें हमारी भरपूर सहायता की।
इस सुहाने सफर के तस्वीरें मैं आप सभी मित्रों के साथ साझा कर रहा हूं, कृपया अपने विचारों को भी मेरे साथ साझा करें।
धन्यवाद।
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