बख्त पुराणा चाल्या जा हटके फेर नहीं आवैगा !
सारे देख लियो म्हारे हरियाणे तै के के जावैगा !!
धोती कुरता संग खंडके का पहरान रह कोन्या ,
सूट बूट म्हं फँसके नै पगड़ी का मान रह कोन्या ,
आये गये की टहल खातिर हुक्का पान रह कोन्या ,
नई नई बणज्या कोठी बैठक की शान रह कोन्या ,
इज्जत मान रह कोन्या खुदगर्जी जोर जमावैगा !!
भीड़ पड़ी म्हं भाई नै भाई का साथ रह कोन्या ,
मर्द की जुबान म्हं पहले आली बात रह कोन्या ,
आपस के म्हं करै लड़ाई समाई गात रह कोन्या ,
बाहण भाई के चलै मुकदमे छुछक भात रह कोन्या ,
पंचा की पंचायत रह कोन्या कोर्ट फैसले करावैगा !!
कोर्ट म्हं होज्या शादी ब्याह सगाई रह कोन्या ,
ब्याह शादी म्हं होया करै घुडी चढ़ाई रह कोन्या ,
हल्दी मटणा और आरता मोड़ बंधाई रह कोन्या ,
पंडित जी के मन्त्र अग्नि बेदी रचाई रह कोन्या ,
मुँह दिखाई रह कोन्या ना सर पै पल्ला पावैगा !!
कँवर सिंह पहले आले तेरे शहर गाम रह कोन्या ,
नकली पौध पैदा होज्या असली जाम रह कोन्या ,
डीजे ऊपर छोरी नाचै रागणियां का नाम रह कोन्या ,
बाजे धनपत और लख्मी याद मांगेराम रह कोन्या ,
ह्रदय म्हं राम रह कोन्या कुण बेडा पार लगावैगा !!