"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः"
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रौ महाबलः,
त्वामभिवघ्नामि रक्षे मा चल मा चल।
भारतीय परम्परा में प्रतिदिन कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता हैं। यहां तक कि ३० दिनों में ३१ त्यौहार होते हैं। प्रत्येक त्यौहार का कुछ न कुछ पौराणिक महत्व हैं, जो किसी न किसी रूप में प्रकृति से संबद्ध रखता हैं।
मानव व्यवहार में रिस्तो का बहुत महत्व होता हैं। परिस्तिथि और काल के प्रभाव से रिश्ते प्रभावित हुए बिना नहीं रहते। लेकिन उस रिश्ते से जुड़ा त्यौहार वापिस उस रिश्ते को मजबूती प्रदान करता हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार राजा बली की दानवीरता की परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु ने बावन [बौने] का रूप धारण करके ढाई कदम जमीन दान में मांगी। एक कदम से सम्पूर्ण पृथ्वी दूसरे कदम से सम्पूर्ण आकाश माप कर राजा बली से पूछा अगला कदम कहाँ रखु, तब बली ने कहा मेरे शीश पर। ज्यों ही भगवान ने शीश पर पैर रखा तो बली पाताल लोक में चले गए। बली ने पाताल में रहते हुए तपस्या कर भगवान विष्णु को हमेशा के लिए अपने पास रहने का वर मांग लिया। जब विष्णु बली के वरदान के कारण पाताल वासी हो गए तो वैकुण्ठ में लक्ष्मीजी अकेली रह गयी और सृष्टि के संचालन में बाधा होने लगी तो लक्ष्मीजी ने श्रावण माह की पूर्णिमा को पाताल में जाकर राजा बली को रक्षा सूत्र बांध कर भाई बनाया व् बली से विष्णु भगवान को उपहार में मांग लिया। उसी मान्यता के अनुसार श्रावण पूर्णिमा के दिन बहिने अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध कर हमेसा रक्षा का वचन लेती हैं, इस दिन भाई भी रक्षा करने के वचन के साथ अपनी बहिनो को उपहार देते हैं।
सामान्यतया रक्षाबन्धन में रक्षासूत्र [राखी] का बहुत महत्व है। राखी कच्चे सूत के धागे में ही पिरोई जाती हैं, पिरोया जाने वाली वस्तु रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। अब तो प्रकृति संरक्षण हेतु वृक्षों को राखी बाँधने की परम्परा भी प्रारम्भ हो गयी है। वर्तमान में हिंदुस्तानी सेना के सेनिको को भी राखी बांधने का कार्यक्रम स्थानीय समाजसेवी संगठनों द्वारा आयोजित होता हैं। हिन्दुस्तान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरुष सदस्य परस्पर भाईचारे के लिये एक दूसरे को भगवा रंग की राखी बाँधते हैं। जिन बहिनो के भाई नहीं होता हैं, वो जिसको रक्षा सूत्र बांधती हैं, वो उनका धर्म भाई बन रक्षा का वचन देता हैं।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
आप सभी मित्रो को रक्षाबंधन के पावन पर्व पर मंगलकामनाएं, सभी बहिनो को शुभ कामनाये।
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आपका - indianculture1
Wow.. This is amazing post..
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धन्यवाद
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