तेरी आँखों की झील उफ़्फ़ तौबा, इन गहराईओं में मैं अब उतर जाऊं

in poem •  7 years ago 

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इन आँखों में डूब कर मर जाऊं,
ये खूबसूरत मैं काम कर जाऊं,

तेरी आँखों की झील उफ़्फ़ तौबा,
इन गहराईओं में मैं अब उतर जाऊं,

तेरी आँखें हैं या मय के ये पैमाने हैं,
पी लूं और हद से मैं गुजर जाऊं,

एक शिकारा है जो तेरी आँखों में,
तू कहे अगर तो इनमें मैं ठहर जाऊं,

तेरी आँखों की झील सी गहराई में,
जी चाहता है मेरा, आज मैं उतर जाऊं।
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