Ek ghazalsteemCreated with Sketch.

in prameshtyagi •  7 years ago 

IMG_20170911_204852.jpg

ग़ज़ल

नजरों के तीर दिल पे चलाया न कीजिये
ये जाल रोज रोज बिछाया न कीजिये

रानाइयां ये आपकी' कितना सँभालूं' खुद
करके इशारा' बाम पे आया न कीजिये

कितने लुटे हैं इश्क में बर्बाद हो गए
इस फ़लसफ़ा को यार भुलाया न कीजिये

बैठे हैं मुठ्ठियों में लिये लोग तो नमक
यूँ जख़्म भी सभी को दिखाया न कीजिये

गुरबत में साथ देते रहे दोस्त जो कभी
उनको कभी भी आप भुलाया न कीजिये

आँखों पे होंठ पे या लिखूँ जुल्फों पे प्रखर
उलझा हूँ देख और सताया न कीजिये

Authors get paid when people like you upvote their post.
If you enjoyed what you read here, create your account today and start earning FREE STEEM!
Sort Order:  

Coooool

Thanks