प्रगतिवादी युग मेँ भाई अब ये सोच पुरानी है।
आरक्षण को ख़त्म करो अब
आरक्षण बेमानी है॥
जिनके लिए आरक्षण था कुछ,
उनका भला नहीँ यार हुआ;
सिर्फ़ मलाई काटने वाला,
वर्ग नया तैयार हुआ;
कुछ लोगोँ की बना बपौती,
इसकी यही कहानी है।
आरक्षण को...
काबलियत जिसमेँ होगी,
ख़ुद ही आगे बढ़ जाएगा;
बैसाख़ी के बल पर कोई,
पर्वत चढ़ नहीँ पाएगा;
युवा-शक्ति ने ठान लिया है,
जन-जन अलख जगानी है।
आरक्षण को...
आरक्षण के नाम पे नेता,
फ़सल वोट की काट रहे;
जनता को आदिवासी,
अगडे,पिछडोँ मेँ बाँट रहे;
जनता के हित की ख़ातिर अब,
इनको धूल चटानी है।
आरक्षण को...
जैसे शेर, बाघ, और बकरी,
एक समान नहीँ हो सकते;
इसी तरह इन्सान भी यारोँ ,
सब महान नहीँ हो सकते;
क़ुदरत की बस यही विविधता,
जीवन की भी निशानी है।
आरक्षण को...
राकेश'नादान'