एक ग़ज़ल ................................WRITTEN BY LOVING BROTHER
ज़ुल्फ़ों की बात कर न तू शाने की बात कर ।
गर कर सके तो बुग्ज़ मिटाने की बात कर ।।
नफ़रत ने एक वतन के दो टुकड़े बना दिए ,
फिर दोस्ती की राह दिखाने की बात कर ।
मज़हब की आँधियों में जो गुमराह हो गए ,
उन सरफिरों को राह पे लाने की बात कर ।
अब छोड़ दे लोगों को यूँ फ़िरक़ों में बाँटना ,
ईद और दिवाली साथ मनाने की बात कर ।
ये रहनुमा तेरे कहीं नीलाम कर न दें ,
इस मुल्क़ की अस्मत को बचाने की बात कर ।
'नादान' जो दुनियाँ को दे पैग़ाम-ए-मुहब्बत ,
तू गीत कोई ऐसा सुनाने की बात कर ।
राकेश 'नादान'
! Remembering old memories...
! Reminding him that he also wrote this unique and unforgettable poetry...
! A lots of LOVE to You Bhai Shab...