रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय.
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय.
अर्थ : रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है. यहाँ धागा का तात्पर्य रिश्ता से है। रिश्ता भी एक धागे के सामान होता है। अगर दो रिश्ते के बिच में कुछ मसले हो जाते तो उनका फिर से आपस में मिलकर रहना कठिन होता है अगर वे आपस में मिल भी जाते है तो उन्हें वो पल वो बातें जरूर याद् रहता है जिनके कारण वे बिछड़ गए थे। मेरा यहाँ लिखने का मकसद यह है जिस प्रकार हम नाजुक धागे की हिफाजत करते है की कही टूट न जाये। ठीक वैसे ही हिफाजत व कद्र रिश्तों का होना चाहिए। अगर हम रिश्तों के कदर वो अहमियत को समझ जायेंगे तो हमें उन रिश्तों के टूटने का डर होगा।
Today I brought a great quote of Hindi poet Rahim Ji. Really he was a great poet in his time. Rahim is saying that our relationship and love is like a thin thread we should not break it in one moment. If we break that thread one time then it's connecting is critical. Anyhow if we connect each other then connecting point always appear. Then should keep care of our relationship and love.
Hope you liked my writing.
Regards