Stanzin Edzes barbie,Maithili thakur,Maa Durga

in stanzin •  3 years ago 

भक्ति और अच्छी सोच के लिए उद्देश्य

भक्ति ईश्वर के प्रति तीव्र प्रेम है | ईश्वर प्रेम है और ईश्वर से प्रेम करना उसके लिए जो वह है - भक्ति होती है | भक्ति की कोई दशा नहीं होती है | हमें ईश्वर से कोई शर्त या मांग नहीं करनी चाहिए कि वह हमारी इच्छाओं की पूर्ती उसी तरह करे जिस तरह हम उन्हें पाना चाहते है, अन्यथा हम उसके प्रति सम्मान या प्रेम नहीं रखेंगे |

एक भक्त (भगवान् का प्रिय ) ईश्वर से प्रेम रखता है | उस प्रेम से सम्बन्धित कोई शर्त नहीं होती है | उसके प्रेम में उत्कंठा होती है | पागल प्रेमी की भांति अपने प्रिय के प्रति लालसा रखने की तरह भक्त ईश्वर के प्रति लालसा रखता है | वह हर समय ईश्वर के प्रति सोंचता है और यह स्मरण जारी रहता है | ईश्वर के प्रति लालसा में कोई अंतराल नहीं होता है | सोने में जाग्रत अवस्था में, कार्य में, घर में, भोजन के दौरान, टहलने के दौरान, भक्त ईश्वर के प्रति सोंचता है | यह एक जूनून होता है और यह जूनून ईश्वर को भक्त से बांधे रखता है |.

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