संसार मे कैसे रहें-1

in steem •  6 years ago  (edited)

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भगवदगीता एक बहुत ही विलक्षण ग्रंथ है। इसको देखने से, इसको गहरा उतरकर समझने से, ऐसा मालूम होता है, कि जिसको तत्वज्ञान, भगवत दर्शन, भगवत प्रेम, कल्याण, मुक्ति, उद्धार आदि कहते हैं, वह गीता के अनुसार सांसारिक छोटा बड़ा सब काम करते हुए किया जा सकता है। आश्रमों में परिवर्तन की तथा भजन ध्यान जप कीर्तन आदि कर्मों के परिवर्तन की जो बातें आती है, गीता के अनुसार उनकी आवश्यकता नहीं है। मनुष्य जिस वर्ण में, आश्रम में, जिस स्थिति में है, वह वहीं रहकर निष्काम भाव से सफलतापूर्वक अपने कर्तव्य का पालन करके, परमात्मा प्राप्ति कर सकता है। इसके लिए आश्रम आदि के नए परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। तात्पर्य है कि गीता ने प्राप्त परिस्थिति के सदुपयोग से कल्याण के बाद बताई हैं।अर्थात व्यवहार में परमार्थ सिद्धि की कला, विद्या, बताई हैं। इस विद्या में दो बातें मुख्य हैं - अपने कर्तव्य का पालन करना और दूसरों के अधिकार की रक्षा करना।
लगातार भाग 2

भगवत गीता पर आधारित इस विचारधारा पर आप अपनी राय कमेंट में जरूर लिखें। अपवोट करना नहीं भूले।

आपका ~ indianculture1

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गीता सिर्फ हिन्दुओं का धार्मिक ग्रन्थ नहीं बल्कि ये पूरे विश्व का ग्रन्थ है।
जिसमे अपने जीवन जीने का तरीका , ख़ुशी से जीवन कैसे व्यतीत कर सकते हैं।

आपने बिल्कुल सही फ़रमाया himansu

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