The diary game -26/07/2020 Sunday

in steemit •  4 years ago 

हैलो मेरे प्यारे मित्रों कैसे हैं आप लोग ...!
मैं थोड़ा काम के कारण बियसत था।
आज मै आप लोगों को भारत इतिहासीक इमारततै से रुबरु करता हूँ।

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भारत के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मक़बरा है। इसका निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में करवाया था।[1]

ताजमहल
تاج محل
ताजमहल का दक्षिणी दृश्य
ताजमहल का दक्षिणी दृश्य
Wikimedia | © OpenStreetMap
स्थान:
आगरा, भारत
निर्देशांक:
27°10′29″N 78°02′32″E / 27.174799°N 78.042111°E
समुद्र सतह से ऊंचाई:
१७१ मी. (५६१ फ़ीट)
निर्माण:
१६३२-१६५३[तथ्य वांछित]
वास्तुकार:
उस्ताद अहमद लाहौरी
वास्तु शैली(याँ):
मुगल
पर्यटक:
३० लाख से अधिक (२००३)
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल
प्रकार:
सांस्कृतिक
मापदंड:
i
निर्दिष्ट:
१९८३ (७वां सत्र)
संदर्भ सं:
२५२
राष्ट्र:
Flag of India.svg भारत
क्षेत्र:
एशिया-प्रशांत
यह लेख ताजमहल इमारत के बारे में है। अन्य प्रयोगों के लिए, ताजमहल (बहुविकल्पी) देखें।
चित्र:ताजमहल अतुलनीय धरोहर.webmPlay media
ताजमहल अतुलनीय धरोहर
ताजमहल मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी वास्तु शैली फ़ारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा सम्मिलन है। सन् १९८३ में, ताजमहल युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना। इसके साथ ही इसे विश्व धरोहर के सर्वत्र प्रशंसा पाने वाली, अत्युत्तम मानवी कृतियों में से एक बताया गया। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया है। साधारणतया देखे गये संगमर्मर की सिल्लियों की बडी- बडी पर्तो से ढंक कर बनाई गई इमारतों की तरह न बनाकर इसका श्वेत गुम्बद एवं टाइल आकार में संगमर्मर से[2] ढंका है। केन्द्र में बना मकबरा अपनी वास्तु श्रेष्ठता में सौन्दर्य के संयोजन का परिचय देते हैं। ताजमहल इमारत समूह की संरचना की खास बात है, कि यह पूर्णतया सममितीय है। इसका निर्माण सन् १६४८ के लगभग पूर्ण हुआ था।[1] उस्ताद अहमद लाहौरी को प्रायः इसका प्रधान रूपांकनकर्ता माना जाता है।[3]

ताजमहल परिसीमित[14] आगरा नगर के दक्षिण छोर पर एक छोटे भूमि पठार पर बनाया गया था। पूर्व में इस जमीन पर राजपुताना राज्य अंतर्गत जयपूर के महाराजा जयसिंह का आलीशान महल था। महाराजा शाहजहाँ ने इसके बदले जयपुर के महाराजा जयसिंह को आगरा शहर के मध्य एक वृहत महल दिया था।[15] लगभग तीन एकड़ के क्षेत्र को खोदा गया, एवं उसमें कूडा़ कर्कट भर कर उसे नदी सतह से पचास मीटर ऊँचा बनाया गया, जिससे कि सीलन आदि से बचाव हो पाए। मकबरे के क्षेत्र में, पचास कुँए खोद कर कंकड़-पत्थरों से भरकर नींव स्थान बनाया गया। फिर बांस के परंपरागत पैड़ (स्कैफ्फोल्डिंग) के बजाय, एक बहुत बडा़ ईंटों का, मकबरे समान ही ढाँचा बनाया गया। यह ढाँचा इतना बडा़ था, कि अभियाँत्रिकों के अनुमान से उसे हटाने में ही सालों लग जाते। इसका समाधान यह हुआ, कि शाहजाहाँ के आदेशानुसार स्थानीय किसानों को खुली छूट दी गई कि एक दिन में कोई भी चाहे जितनी ईंटें उठा सकता है और वह ढाँचा रात भर में ही साफ हो गया। सारी निर्माण सामग्री एवं संगमर्मर को नियत स्थान पर पहुँचाने हेतु, एक पंद्रह किलोमीटर लम्बा मिट्टी का ढाल बनाया गया। बीस से तीस बैलों को खास निर्मित गाडि़यों में जोतकर शिलाखण्डों को यहाँ लाया गया था। एक विस्तृत पैड़ एवं बल्ली से बनी, चरखी चलाने की प्रणाली बनाई गई, जिससे कि खण्डों को इच्छित स्थानों पर पहुँचाया गया। नदी से पानी लाने हेतु रहट प्रणाली का प्रयोग किया गया था। उससे पानी ऊपर बने बडे़ टैंक में भरा जाता था। फिर यह तीन गौण टैंकों में भरा जाता था, जहाँ से यह नलियों (पाइपों) द्वारा स्थानों पर पहुँचाया जाता था।

आधारशिला एवं मकबरे को निर्मित होने में बारह साल लगे। शेष इमारतों एवं भागों को अगले दस वर्षों में पूर्ण किया गया। इनमें पहले मीनारें, फिर मस्जिद, फिर जवाब एवं अंत में मुख्य द्वार बने। क्योंकि यह समूह, कई अवस्थाओं में बना, इसलिये इसकी निर्माण-समाप्ति तिथि में कई भिन्नताएं हैं। यह इसलिये है, क्योंकि पूर्णता के कई पृथक मत हैं। उदाहरणतः मुख्य मकबरा 1643 में पूर्ण हुआ था, किंतु शेष समूह इमारतें बनती रहीं। इसी प्रकार इसकी निर्माण कीमत में भी भिन्नताएं हैं, क्योंकि इसकी कीमत तय करने में समय के अंतराल से काफी फर्क आ गया है। फिर भी कुल मूल्य लगभग 3 अरब 20 करोड़ रुपए, उस समयानुसार आंका गया है; जो कि वर्तमान में खरबों डॉलर से भी अधिक हो सकता है, यदि वर्तमान मुद्रा में बदला जाए।[16]

ताजमहल को सम्पूर्ण भारत एवं एशिया से लाई गई सामग्री से निर्मित किया गया था। 1,000 से अधिक हाथी निर्माण के दौरान यातायात हेतु प्रयोग हुए थे। पराभासी श्वेत संगमरमर पत्थर को राजस्थान मकराना से लाया गया था, जैस्पर को पंजाब से, हरिताश्म या जेड एवं स्फटिक या क्रिस्टल को चीन से। तिब्बत से फीरोजा़, अफगानिस्तान से लैपिज़ लजू़ली, श्रीलंका से नीलम एवं अरबिया से इंद्रगोप या (कार्नेलियन) लाए गए थे। कुल मिला कर अठ्ठाइस प्रकार के बहुमूल्य पत्थर एवं रत्न श्वेत संगमर्मर में जडे. गए थे।
ताजमहल के पूरा होने के तुरंत बाद ही, शाहजहाँ को अपने पुत्र औरंगजे़ब द्वारा अपदस्थ कर, आगरा के किले में नज़रबन्द कर दिया गया था। शाहजहाँ की मृत्यु के बाद, उन्हें उनकी पत्नी के बराबर में दफना दिया गया था। अंतिम 19वीं सदी होते होते ताजमहल की हालत काफी जीर्ण-शीर्ण हो चली थी।
1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, ताजमहल को ब्रिटिश सैनिकों एवं सरकारी अधिकारियों द्वारा काफी विरुपण सहना पडा़ था। इन्होंने बहुमूल्य पत्थर एवं रत्न, तथा लैपिज़ लजू़ली को खोद कर दीवारों से निकाल लिया था। 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश वाइसरॉय जॉर्ज नैथैनियल कर्ज़न ने एक वृहत प्रत्यावर्तन परियोजना आरंभ की। यह 1908 में पूर्ण हुई। उसने आंतरिक कक्ष में एक बडा़ दीपक या चिराग स्थापित किया, जो काहिरा में स्थित एक मस्जिद जैसा ही है। इसी समय यहाँ के बागों को ब्रिटिश शैली में बदला गया था। वही आज दर्शित हैं। सन् 1942 में, सरकार ने मकबरे के इर्द्-गिर्द, एक मचान सहित पैड़ बल्ली का सुरक्षा कवच तैयार कराया था। यह जर्मन एवं बाद में जापानी हवाई हमले से सुरक्षा प्रदान कर पाए। 1965 एवं 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के समय भी यही किया गया था, जिससे कि वायु बमवर्षकों को भ्रमित किया जा सके। इसके वर्तमान खतरे वातावरण के प्रदूषण से हैं, जो कि यमुना नदी के तट पर है, एवं अम्ल-वर्षा से, जो कि मथुरा तेल शोधक कारखाने से निकले धुंए के कारण है।[22] इसका सर्वोच्च न्यायालय के निदेशानुसार भी कडा़ विरोध हुआ था। 1983 में ताजमहल को युनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।

ताजमहल प्रत्येक वर्ष 20 से 40 लाख दर्शकों को आकर्षित करता है, जिसमें से 200,000 से अधिक विदेशी होते हैं। अधिकतर पर्यटक यहाँ अक्टूबर, नवंबर एवं फरवरी के महीनों में आते हैं। इस स्मारक के आसपास प्रदूषण फैलाते वाहन प्रतिबन्धित हैं। पर्यटक पार्किंग से या तो पैदल जा सकते हैं, या विद्युत चालित बस सेवा द्वारा भी जा सकते हैं। खवासपुरास को पुनर्स्थापित कर नवीन पर्यटक सूचना केन्द्र की तरह प्रयोग किया जाएगा।[23][24] ताज महल के दक्षिण में स्थित एक छोटी बस्ती को ताजगंज कहते हैं। पहले इसे मुमताजगंज भी कहा जाता थ॥ यह पहले कारवां सराय एवं दैनिक आवश्यकताओं हेतु बसाया गया था।[25] प्रशंसित पर्यटन स्थलों की सूची में ताजमहल सदा ही सर्वोच्च स्थान लेता रहा है। यह सात आश्चर्यों की सूची में भी आता रहा है। अब यह आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों में प्रथम स्थान पाया है। यह स्थान विश्वव्यापी मतदान से हुआ था[26] जहाँ इसे दस करोड़ मत मिले थे।

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सुरक्षा कारणों से[27] केवल पाँच वस्तुएं – पारदर्शी बोतलों में पानी, छोटे वीडियो कैमरा, स्थिर कैमरा, मोबाइल फोन एवं छोटे महिला बटुए – ताजमहल में ले जाने की अनुमति !

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