आज की ये इमोशनल कहानी मुझे पसंद कुछ चुनिंदा कहानियों में से एक है क्योंकि ये कहानी मां और मां की ममता को बया करती है। चलिए पढ़ते है पूरी कहानी....
' मां की परछाई ' हृदयस्पर्शी कहानी | heart touching story
आज की ये इमोशनल कहानी मुझे पसंद कुछ चुनिंदा कहानियों में से एक है क्योंकि ये कहानी मां और मां की ममता को बया करती है। चलिए पढ़ते है पूरी कहानी....
' मां की परछाई ' हृदयस्पर्शी कहानी | heart touching story
' मां की परछाई ' हृदयस्पर्शी कहानी | heart touching story
सुबह का वक्त था। सूरज की लाल किरने दिन की शुरुआत कर रही थी। हरे भरे पेड़ों पर पंछी मीठे सूर में गुनगुना रहे थे। ऐसे निसर्गरम्य वातावरण में सरस्वती अनाथ आश्रम छोटे बच्चों की सेवा कर रहा था। कभी कबार शायद मां का प्यार भी कम पड़ जाए लेकिन इस आश्रम में बच्चों को मिलने वाले प्यार में कभी कमी नही आती थी!
सूरज की कोमल धूप में मात्र 15 से 16 साल की पिहू सूरज को एकटक निहार रही थी। तभी उतने में उसे एक खयाल आया। सूरज जैसे जैसे ढलता जाता है वैसे वैसे परछाइयों को पीछे छोड़ता जाता है और पीछे छूटी हताश परछाई फिर से उगते सूरज की राह देखते हुए रोती रहती है! इस विचार से पीहू का मन भर आया और उसे अपनी मां की याद आई।
तभी वह अपने मन ही मन में बोलने लगी - मां तुझे याद नहीं कि मेरे पापा मुझे छोड़कर कब भगवान के पास चले गए? पर तुम ही मुझे कहती थी ना कि बेटा तू 1 साल की थी तब तेरे पापा को कैंसर की बीमारी थी। इस वजह से तेरे पापा भगवान के घर चले गए लेकिन तकदीर की लड़ाई मैं मैंने हार नहीं मानी। पीहू बेटा! मुझे तेरे साथ यह कठिन दुख की लड़ाई जितनी है। इसलिए मैं तेरी परछाई बन तेरे लिए जो हो सके वह करूंगी। वक्त आने पर मैं लोगों के घर के काम भी करूंगी पर तुझे बहुत पढाऊंगी, तुझे बड़ा बनाऊंगी। मैं तेरे पापा के सपने को वास्तव में लाऊंगी।
तेरे पापा की बहुत इच्छा थी कि हमारी छोटी सी पीहू बड़ी होकर पायलट बने। लेकिन जिंदगी में ऊंचा उठने के लिए तेरे पापा से तेरे पंखों को मिलने वाली ताकत तेरे पापा के जाने से टूट गई।
लेकिन मां इतने बड़े दुख के रेगिस्तान में मैं सुख की परछाई ढूंढ रही थी। मेरे इन पंखों को बल देती मां।
लेकिन क्यों मां? क्यों मेरे पंखों को बल देने से पहले मुझे क्यों छोड़ कर चली गई?
पापा की तो पितृछाया मुझे ना मिल सकी पर तू तो मेरी परछाई बनकर जी रही थी! फिर क्यों तू भी मुझे छोड़ कर चली गई?
लेकिन तेरे जाने से मैं तेरी ममता से जुड़ी रही तेरे प्यार की परछाई ढूंढते हुए दुख के रेगिस्तान मे अकेली रही। अब मेरे पापा के सपनों को साकार करने के लिए कौन मुझे ताकत देगा, बोलना मां?
पीहू मन ही मन बोल रही थी तभी उतने में प्यार और ममता से सभी लड़का लड़कियों से बर्ताव करने वाली सीमा मैडम ढूंढते हुए पीहू को देखने आई और प्यार से बोली - बेटा, क्या हुआ, क्यों रो रही हो? तभी पीहू अपने आंसू पोछते हुए बोलि - मैडम मुझे अपनी मां की बहुत याद आ रही है।
तभी सीमा मैडम ने पीहू को अपने सीने से लगाया। वह बोली - देखो पीहू बेटा ऐसे नहीं रोते। मुझे पता था तुम्हारी मां तुम्हारे लिए प्यार और ममता की परछाई थी लेकिन उसे भी भगवान ने ले लिया! पीहू जिंदगी और मौत किसी के बस में नहीं होती है।
पीहू सीमा मैडम के तरफ देखते हुए बोली - मैडम भगवान भी कितने कठोर दिल के होते हैं! जब मैं छोटी थी तब मेरे पापा कैंसर की बीमारी से चले गए। और अभी कोरोना के काल मेरी मां की बेस्ट फ्रेंड रमा आंटी 1 दिन के लिए हमारे घर आई। तभी मां को कोरोना हो गया और मेरी मां गुजर गई। वह मुझे छोड़ कर चली गई। मेरे जीवन में परछाई बनकर रहने वाली मेरी मां मुझे अब दिखाई ही नहीं देती।
पीहू की यह अवस्था देखकर सीमा मैडम की आंखें भर आई। फिर भी सीमा मैडम पीहू को दुख भरे स्वर में बोली - यह देखो पीहू बेटा जिस टाइम तेरे गांव के सरपंच ने तुम्हें इस आश्रम में लाया तब उन्होंने तुम्हारी जिंदगी की सब कर्म कहानी बताई थी। इसी कारण से मैं तुम्हें अकेले नहीं छोड़ती हूं लेकिन इसके आगे मैं तुम्हारी मां बनकर तुम्हारी परछाई बनकर जिंदगी जीना चाहती हूं। ऐसे बोल कर सीमा मैडम ने पीहू को अपने बाहों में भर लिया और रोने लगी।
सीमा मैडम को सीने से लगाकर पीहू ऐसा लगा जैसे उसकी मां की खोई हुई परछाई सीमा मैडम के रूप में फिर से उसके साथ देने आ गई!!!