लिपि और रिया की कहानी, जो दिखावे के शौक से दूर रहने फायदे बताती है।
लिपि हमेशा रिया से बराबरी करने में लगी रहती थी। हालांकि लिपि पढ़ाई में रिया से कही आगे थी, लेकिन बराबरी करने के चक्कर में वह बेवकूफियां कर देती थी। इस कारण उसके अंग कट जाते थे।इसके अलावा रिया की संगत में लिपि का पढ़ाई से भी मन हटने लगा था।
रिया के माता-पिता काफी पैसे वाले थे, लेकिन लिपि एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थी। लिपि और उसके माता पिता के बीच दूरियां बढ़ती जा रही थी। प्रोफैसर नाथ यह सब समझ रहे थे। एक दिन प्रोफैसर नाथ ने कॉलेज में कहा, आज में आप सबको एक कहानी सुनाता हूं। अफ्रीका में एक बहुत अमीर किसान था। उसके पास हजारो एकड़ जमीन थी। एक दिन उसके घर एक मेहमान आया, जिसने उसे बताया कि वह हीरे की तलाश करता है।
जब हीरे मिल जाते हैं, तो उसको लाखो रुपये में बेच देता है। किसान ने उसकी बात सुनकर सोचा की अगर वह भी हीरे की तलाश करे, तो वह और भी ज्यादा अमीर बन सकता है। उसने अपनी सारी जमीन बेच दी, और खुद विश्व् की सैर कर हीरे की खोज में लग गया। कई वर्षों बाद भी उस हीरे न मिले। अंत में सारा पैसा खत्म हो गया और उसने हारकर एक नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली।
उधर उसकी बेचीं हुई जमीन पर नए किसान को एक अजीब सा दिखने वाला पत्थर मिला। वह उसे लेकर एक जोहरी के पास गया, जिसने बताया कि यह विश्व् का अब तक का सबसे बड़ा हीरा है। बाद में पता चला की उसके खेतो के नीचे विश्व् की सबसे बड़ी हीरे की सुरंग है, जिसका नाम किम्बरले माईन फिल्ड पड़ा।
प्रोफैसर नाथ बोले, यह स्थिती हममें से हर किसी के जीवन में आती है। दूसरो से प्रभावित होकर हम यह भूल जातें हैं कि हमारी जमीन कहां है। लिपि को प्रोफैसर नाथ का संकेत समझ आ चुका था।
दुसरो की नक़ल के चक्कर में हम अपनी मौलिकता भी खो देते हैं।
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