मेमने और भेड़िये की कहानी, जिसमे मेमना अपनी चतुराई से भेड़िये के चंगुल से बच निकला।
एक बार एक मेमना अपने मां-बाप के साथ अपने घर के पास एक बाग़ में घास चर रहा था। उसने देखा, दूर एक जगह पर ज्यादा हरी और ताजा घास उगी हुई थी। घास की लालच में मेमना और दूर जाता गया। इतने में शाम होने लगी। अँधेरा होने लगा था और उसके परिजन घास चरने के बाद घर लौट गए।
लेकिन वह मेमना तो अब भी घास खाने में मस्त था। एक भेड़िया बड़ी देर से मेमने पर नज़र गड़ाए हुए बैठा था। मौका मिलते ही उस भेड़िये ने मेमने पर हमला कर दिया। मेमना डर गया। भेड़िये को देखकर वह जमीन पर लेट गया। भेड़िया बोला, मैं तुम्हे खा जाऊंगा। मेमने ने भेड़िये से कहा, मेरे पेट में ढेर सारी घास भरी हुई है। अगर आप मुझे अभी खाएंगे, तो हो सकता है कि आपका स्वाद ख़राब हो जाए। हम थोड़ी देर यही बैठ जाते हैं। मेरे पेट में जो घास है, वह पच जायेगी। फिर आप मुझे आराम से स्वाद लेकर खा जाइयेगा।
फिर मेमने ने भेड़िये से कहा, मैं ऐसा करता हूं थोड़ी देर नाच लेता हूं। इससे आपका थोड़ा मनोरंजन भी हो जाएगा और मेरा खाना भी जल्दी पच जायेगा। मेमने ने तेजी से नाचना शुरू कर दिया। लेकिन संगीत के बिना नाच में कहा मज़ा आता है! मेमने ने कहा, अगर आप मेरे गले की घंटी उतार लें और उसे जोर-जोर से बजाए, तो आपको मनोरंजन में और मुझे नाचने में ज्यादा मज़ा आएगा।
भेड़िये को मेमने की यह बात भी ठीक लगी। अब भेड़िया जोर-जोर से घंटी बजने लगा। उधर घंटी बजते ही मेमने के मालिक को समझ आ गया कि उसका मेमना किसी मुसीबत में फसां है। उसने अपने सारे कुत्तो को मेमने को ढूढ़ने के लिए छोड़ दिया। कुत्ते के झुण्ड मेमने को खोजते हुए इधर आ पहूंचे। कुत्तो के झुण्ड को देखते ही भेड़िया वहाँ से दम दबाकर भाग गया।
जीवन के लिए सही समय पर अक्ल का इस्तेमाल जरुरी है।
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