Anand kalyan marg Thinking in mind

in thought •  6 years ago 

सोच सोच में अंतर्
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भगवन कहते है की एक प्रकार की सोच अथवा विचारधारा सच्चा सुख प्रधान करनेवाली और जनम मरण का बंधन काटनेवाली है , जभकि एक प्रकार की सोच दुःख और अशांति पैदा करनेवाली है और गले में जनम मरण का फंदा डालने वाली है ।
एक सोच सुखरास है ,एक सोच दुखरास ।
एक सोच बंधन काटे, एक सोच गल फ़ांस ॥

God says that a kind of thinking or ideology is a true pleasure-loving person and a person is suffering from death, because one kind of thinking is about to create misery and unrest, and in the throat, birth is going to be a scourge of death.
One thought is tranquility, a thinking tragedy.
One thought brace, one thought hang.

नाम सोच सुखरास है ,काम सोच दुखरास ।
नाम सोच बंधन काटे , काम सोच गल फ़ांस ॥

अर्थात परमात्मा के नाम सुमरिन और भजन भक्ति की सोच सुख प्रधान करने वाली और जनम मरण का बंधन काटनेवाली है , जभकि माया , काया और उनसे संबंधित पदार्थ एवं सम्बन्धो की कामना पूर्ति की सोच दुःख देनेवाली और जनम मरण के बंधन में डालनेवाली है ।
दूसरी बात जिसपर धयान देने की आवश्यकता है , वह यह की मनुष्य के मन में जिस प्रकार के विचार जीवनपर्यन्त उठते रहते है , अंत समय भी सुरत उन्ही विचारो में अटकी रहती है । और यह एक निश्चित तथ्य है कि अंत समय जहा सुरत अटकी होगी , उसी के अनुसार जीव को अगला जनम प्राप्त होगा । भगवन श्री कृष्ण जी ने गीता में फ़रमाया है कि - ये समझ ले आखरी दम जिसका जैसा हो ख्याल ।
अपनी नियत के मुताबिक उसमे होता है विसाल ॥

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Name thinking is superlative, wondering work wonders
Name thinking, binding, work wonders, phalanx

That is, the name of God is called Simran and Bhajan is devoted to the heart and the person is suffering from death, whereas the desire for Maya, Kaya and the related matters and relations related to them is distressing and the birth is in the bondage of death.
The second thing that needs to be addressed is that The kind of thoughts that arise in life, in the human mind, the end times are also stuck in the same thoughts. And it is a definite fact that according to the same time, where Surat will be stuck, according to which the creature will receive the next birth. Lord Shri Krishna has explained in the Geeta that -

it is understood that the last breath is like the one who resembles it.
According to its schedule, it does not matter.

अंतकाल में जहा सुरत अटकी होती है , उसी के अनुसार ही मनुष्य को अगला जनम मिलता है . इस विषय में एक कथा है भगवान रिश्बवदेव के पुत्र चक्रतवी सम्राट भरत बहुत समय राज्य करने के बाद अपने पुत्रो को राज्य सौपकर तप करने जंगल चले गए । जंगल में रहकर वह कठिन तप करने लगे । एक दिन भरत एक नदी पर स्नान क्र रही थे उसी समय एक हिरणी अपने बच्चे के साथ पानी पिने आयी कि तभी एक शेर भी आया शेर को देखर क्र वह दोनों भागे पर वह बच्चा पानी में गिर गया नदी में बहने लगा मृग को नदी में बहता देख राजा भरत ने नदी में छलांग लुगाई और उसे बाहर निकल लिया उसके बाद उन्होंने उसकी माँ कि बहुत खोज कि पर वो उन्हें न मिली । राजा उसे अपने आश्रम ले ए और उसका पालन पोषण करने लगे । समय बिता मृग राजा कि कमजोरी बन गया वह एक पल के लिए भी मृग को अपनी आँखों से दूर न होने देते यह एक हैरान करने वाली घटना थी जिन्होंने अपने राज्य परिवार मित्रो का त्याग किया था वह एक मृग के मोह में फस गए थे । धीरे धीरे जभ मृग बड़ा हुआ तब राजा को चाइये था कि मृग को वह जंगल छोड़ आते पर उन्होंने ऐसा नहीं किया ।वो मृग के प्रेम में इस कदर डूब गए उन उसके शिव कुछ नज़र न आता । एक दिन राजा का भी अंतिम समय आ गया संसार का नियम है जो आया है उसे जाना ही है सदा कोई संसार में नहीं रहा जिस समय उनका अंतिम समय आया वह मृग भी उनके पास बैठा था । राजा कि भरत कि आंखे उसे ही देख रही थी उनका मन उसी मृग मे लगा हुआ था इसी अवस्था में उनके प्राण निकल गए । क्युकी उन्होंने मृग को चिंतन करते हुए शरीर त्यागा था तो अंत मति सो गति अथवा जहाँ आसा वहां वासा के नियमनुसार उन्हें मृग कि योनि में जाना पड़ा । अभिप्राय यह है कि अपनी सोच अथवा अपनी विचारधारा को बदले ।

In the end, where Surat is stuck, according to that man gets the next birth. There is a story in this subject that Lord Rishbavdev's son Chakravarti Emperor Bharata ruled many times after having ruled the kingdom and went to the forest to ascertain the penance. Staying in the woods, they began to harden the fast. One day Bharat was taking a bath on a river. At the same time, a deer came to drink water with his child. Then a lion came to see the lion. On both sides, the child fell into the water and started flowing in the river, the deer flows in the river. King Bharat jumped into the river and saw him out. After that he searched for his mother, but they did not find him. The king took her ashram and began to nourish her. The time that deer . King became weakness did not allow the deer to be away from his eyes even for a moment. It was a shocking event that he had forgotten his family members, he had been deceived by the temptation of an ant. Gradually, when the deer grew up, the king wanted to leave the forest to the deer, but he did not do it. Those who drowned so much in the love of the deer, his Shiva could not see anything. One day, the last time of the king was also the rule of the world which has come, it has to be known that there was no one in the world, when the last time came.That antelope was also sitting near them. The king was looking at Bharata's eyes only, his mind was in the same deer. At that stage, his life was gone. When he thought of the deer, he had to leave the body, then he had to go to the vagina of the deer as per the normality of Vaasa or where there was an Hope.
The idea is to change your thinking or your ideology.

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