टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने रविवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ मुंबई में खेले गए वनडे सीरिज के पहले मुकाबले में अपने 200 मैच पूरे कर लिए. इस मुकाबले में करियर का 31वां शतक ठोक कर उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज रिकी पॉन्टिंग को पीछे छोड़ दिया है. शतकों के मामले में विराट कोहली से ऊपर अब केवल सचिन तेंदुलकर (49 शतक) हैं. उनकी इस ताजा उपलब्धि के साथ ही क्रिकेट प्रशसंकों के बीच इस बात को लेकर बहस छिड़ गई है कि क्या विराट वनडे में सचिन के शतकों और कुल रनों का रिकॉर्ड तोड़ देंगे. हालांकि ऐसा होगा या नहीं यह तो अभी भविष्य के गर्भ में है, पर जानकारों के मुताबिक इतना तय है कि वे अपनी हर पारी के साथ ‘क्रिकेट के भगवान’ सचिन तेंदुलकर के कद के और करीब पहुंचते चले जाएंगे. यह अपने-आप में किसी भी खिलाड़ी के लिए बड़ी उपलब्धि है.
हालांकि रनों के मामले में विराट कोहली द्वारा सचिन तेंदुलकर को पीछे छोड़ने की बात करना अभी बहुत जल्दबाजी कही जाएगी. पर करियर की लगभग आधी दहलीज छू चुके कोहली ने अब तक जैसा प्रदर्शन किया है, यदि वे आगे इसे बरकरार रख सके तो ऐसा होना बिल्कुल भी असंभव नहीं. क्रिकेट जानकार विराट की जबरदस्त फिटनेस और शानदार औसत को इस संभावना के दो मुख्य कारण मानते हैं. पांच नवंबर को वे 29 साल के हो जाएंगे. क्रिकेट पंडितों का अनुमान है कि उनमें अभी लगभग एक दशक का क्रिकेट बाकी है.
वनडे में तेंदुलकर और कोहली
सचिन तेंदुलकर निर्विवाद रूप से दुनिया के महानतम क्रिकेटरों में से हैं. ढाई दशक लंबे अपने करियर में उन्होंने जो धूम मचाई, वैसा विरले ही किसी अन्य क्रिकेटर ने किया होगा. क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट के 664 मैच खेलकर उन्होंने 34 हजार से ज्यादा रन बनाए और 200 विकेट लिए. अपने खेल से वे देश के लाखों युवाओं के प्रेरणास्रोत बन गए. खुद विराट भी उन्हें अपना गुरु और प्रेरक मानते हैं. उन्हें अपने गुरु के साथ भारतीय टीम में पांच साल तक खेलने का सौभाग्य भी मिला.
सचिन और विराट के युग में दो दशकों का अंतर है. इन दो दशकों में क्रिकेट का खेल और उसकी परिस्थितियां काफी बदल चुकी हैं. ऐसे में इन दो दिग्गजों के बीच निरपेक्ष और सटीक तुलना कर पाना काफी मुश्किल है. हालांकि रन औसत, मैचों की संख्या, करियर की लंबाई, उम्र आदि जैसे मानकों पर दोनों की तुलना कर पता लगाया जा सकता है विराट उनकी तुलना में कहां ठहर पाते हैं.
अपने नौ साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में विराट कोहली ने 55.55 की शानदार औसत से अभी तक कुल 8,888 रन बनाए हैं. ये रन सचिन तेंदुलकर के 18,426 रनों के विश्व रिकॉर्ड का लगभग आधा है. हालांकि 200 वनडे मैचों के बाद रन औसत, कुल रन और शतकों के मामले में विराट वनडे इतिहास के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज ठहरते हैं. सचिन के संपूर्ण वनडे करियर का औसत ही 44.8 है, जो विराट के मौजूदा औसत से करीब 11 कम है. वहीं विराट इस पड़ाव पर सचिन के 7,303 रनों से 1,585 रन आगे हैं.
शतकों के मामले में भी वे सचिन (18) से 13 कदम आगे हैं. विराट कोहली को अब वनडे में 49 शतकों के सचिन का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए 19 शतक और लगाने हैं. कई जानकार अभी से उनके हाथों इस रिकॉर्ड के टूटने की भविष्यवाणी कर रहे हैं. उनके अनुसार 100 से 200 वनडे के बीच उन्होंने जैसा खेल दिखाया है, यदि वे आगे भी इसी तरह खेलते रहे तो संभव है कि अगले पांच साल में यह रिकॉर्ड उनके नाम हो जाए. आलोचकों का यह भी कहना है कि इस रिकॉर्ड के टूटते-टूटते कोहली की उम्र और उनके खेले गए मैचों की संख्या भी सचिन से काफी कम होगी. ऐसा इसलिए कि कोहली के शतक लगाने की दर सचिन से 46 फीसदी ज्यादा है. सचिन ने 49 शतक का रिकॉर्ड 463 मैच और करीब 38 साल में बनाया था.
क्या कोहली की उम्र उनका साथ दे पाएगी?
विराट अब वनडे में 10,000 रन की महान उपलब्धि से महज 1,112 रन दूर हैं. उनका जो मौजूदा प्रदर्शन है उसे देखते हुए जानकारों का अनुमान है कि वे यह उपलब्धि अपने करियर के 10 साल, 220 से 225 वनडे और 30 की उम्र पूरा होते-होते हासिल कर लेंगे. सचिन ने यह रिकॉर्ड अपने करियर के 11 साल, 266 वनडे और 28 की उम्र में बनाया था. सचिन ने 31 मार्च, 2001 को जब 10 हजार रन बनाए थे तो ऐसा करने वाले वे दुनिया के पहले बल्लेबाज थे. यानी विराट कोहली केवल ‘उम्र’ को छोड़कर सचिन तेंदुलकर को रन, रन औसत, शतक, समय जैसे तमाम मामलों में कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं.
उम्र के मामले में वे सचिन से दो साल इसलिए पीछे दिख रहे हैं क्योंकि उनका अंतरराष्ट्रीय करियर तीन साल देर से शुरू हुआ था. सचिन केवल 16 साल आठ महीने में पहला वनडे खेल चुके थे. वहीं कोहली का वनडे करियर 19 साल नौ महीने में शुरू हुआ था. लेकिन करीब एक दशक के अपने करियर में अपने शानदार प्रदर्शन के बूते इस अंतर को एक साल कम करने में वे सफल हो गए हैं.
किसी खिलाड़ी के लिए उसकी उम्र काफी मायने रखती है, क्योंकि उम्र बढ़ने पर उसका प्रदर्शन ढलने लगता है. कइयों को लगता है कि विराट 18,426 रनों तक पहुंचने से बहुत पहले ज्यादा उम्र के चलते सचिन का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाएंगे. हालांकि ऐसे लोग दो तथ्यों की ओर ध्यान नहीं दे रहे. पहला यह कि सचिन अपने करियर के अंतिम 12 साल चोटों से जूझते रहे. आंकड़े गवाह हैं कि इन चोटों के चलते उनके कम से कम तीन साल बर्बाद हुए. दूसरा विराट फिटनेस के मामले में तब के सचिन से बेहतर नजर आते हैं.
सचिन करियर के दूसरे हिस्से में काफी चोटिल हुए थे
सचिन तेंदुलकर का 24 साल का लंबा क्रिकेट करियर रहा. उनके करियर का पूर्वार्द्ध चोटों से लगभग बेदाग था. जैसे ही उन्होंने करियर का आधा पड़ाव तय किया, चोटों ने उन्हें दबोच-सा लिया. इसके बाद तो सचिन और चोटों का चोली-दामन जैसा साथ हो गया. उन्हें 2001 में पहली चोट पैर के अंगूठे में लगी थी. इस चलते उन्हें 12 साल में पहली बार किसी टेस्ट मैच से बाहर होना पड़ा. हालांकि तब तक वे वनडे में 10 हजार रन पूरा कर चुके थे.
फिर 2002 में जांघ की चोट और उसी साल ‘हैमस्ट्रिंग’ की समस्या से उन्हें जूझना पड़ा. 2003 में फिर उन्हें टखने में चोट लगी. इसी साल उनके बाएं हाथ की उंगलियों में भीषण दर्द हुआ. हालांकि अगस्त 2004 में उनके जीवन का सबसे मुश्किल लम्हा तब आया, जब उन्हें ‘टेनिस एल्बो’ की समस्या हुई. तब लगा कि सचिन तेंदुलकर के दिन लद गए, लेकिन वे एक बार फिर वापसी करने में सफल रहे. यही नहीं उन्हें 2006 में कंधे, 2007 में घुटने और 2008 में ‘ग्रॉइन’ की चोटों की भी पीड़ा झेलनी पड़ी थी.
इन चोटों ने सचिन का तीन साल बर्बाद कर दिया. इसके एक आंकड़े से समझते हैं. उनके वनडे करियर में रन बनाने की सबसे तेज रफ्तार 2,000 से 10,000 रनों के बीच रही थी. उन्होंने ये 8,000 रन अप्रैल 1994 से मार्च 2001 के बीच सात सालों में बनाए थे. लेकिन 10,000 से 18,000 के बीच के 8,000 रन बनाने में उन्हें 10 साल लग गए.
इसीलिए विराट फिटनेस को लेकर इतने जुनूनी हैं
जानकारों का मानना है कि विराट को सचिन का वनडे में सबसे ज्यादा रनों का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए अभी आठ-नौ साल और खेलना होगा. हालांकि सचिन, धोनी, नेहरा जैसे कई खिलाड़ी इस उम्र तक खेले हैं. इसलिए विराट की ‘मौजूदा’ फिटनेस देखते हुए यह बहुत बड़ी बाधा नहीं लग रही. उनके आलोचक भी ये मानते हैं कि वे इस मामले में दुनिया के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी हैं.
कुछ जानकार तो इस फिटनेस का राज सचिन का रिकॉर्ड तोड़ने की उनकी भूख को मानते हैं. इनके अनुसार विराट ने सचिन के साथ खेलते हुए उनके निजी अनुभवों से भी काफी कुछ सीखा है. वे समझ चुके हैं कि यदि ‘मास्टर ब्लास्टर’ जैसी उपलब्धियां हासिल करनी हैं, तो बेहतर रन औसत रखते हुए पूरे दमखम से 37 या 38 की उम्र तक खेलना होगा. इसीलिए उन्होंने पिछले चार-पांच साल से अपनी फिटनेस को लेकर गजब का जुनून दिखाया है. वैसे आने वाले दिनों में वे कहां तक जा पाएंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा.
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