Beautiful thought

in beautiful •  6 days ago 

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सच सुनने और कहने का चलन से मैं तब बाहर हुआ जब बहुतों को सच बोलने और सुनने की सजा भुगतते देखा वो हरिश्चंद्र के बाद दूसरे नंबर पर था सच बोलकर लावारिस ( बिना वारिस की लाश) सा दिखाई देता था।

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