गृहस्थी अध्यात्म की राह में
बिल्कुल भी बाधा नहीं है।
आप गृहस्थ जीवन में भी
पूरी तरीके से आध्यात्मिक हो सकते हैं।
कब नहीं हो सकते?
यदि आपका चौका ही
आपका मंदिर बन गया,
अगर चुन्नू-मुन्नू ही
राम-लखन बन गए
और अगर पतिदेव ही
परमेश्वर बन गए,
तो भूल जाइए आध्यात्म को,
तब नहीं हो सकता।