चिन्ना औडीयार मंदिर कोल्लुकादु, तंजावुर जिले में स्थित है। इस मंदिर ने माणिकवसागर के आध्यात्मिक विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी, जिन्होंने तमिल भाषा के विकास में बहुत योगदान दिया है। गौरतलब है कि यहां के लिंग को स्वयंभू कहा जाता है, यानि यह लिंग खुद से ही पैदा हुआ है।
यह मंदिर कई वर्षों से खंडहर रहा है। यहां कई सालों से एक भी पूजा नहीं हुई है। इसके ज़बरदस्त ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए, इसकी हालत पर और भी अधिक पीड़ा होती है!
Extremely painful to see our ancient temple in such situation.