मथुरा के नन्दगांव और बरसाना जैसा कोई गांव पुरी दुनिया में मिल नहीं सकता दोनों गांव मथुरा में ही है आज कृष्ण और राधा के जन्म को ५००० वर्ष बीत गए पर गांव के लोग आज भी बरसाना के बासी राधा को अपनी बेटी मानते हैं, नंदगाव के बासी कृष्ण को आज भी अपना बेटा मानते है ,इस बजह से बरसाना के बासी नन्द गांव में अपने बेटियों के विवाह नहीं करते क्यों के बो अपने पुराने रिस्ते को भूलना नहीं चाहते आज भी कहते है हमने नया रिस्ता जोड़ लिया तो हमारा कृष्ण से प्रेम कम हो जायेगा इस बजह वह आपस में विवाह नही करते ।
बृजभूमि के वासियो के मन में कृष्ण और राधा के लिए आपार श्रद्धा है नन्द गांव के घरो के बहार आज भी मटकी में माखन रखा जाता है कृष्ण के लिए वहाँ आज भी कहते है के कान्हा यही बच्चो के भेष में कही खेल रहा होगा वो माखन खाने जरूर आएगा ।
आज ५००० वर्षो बाद भी बरसाने का कोई बृद्ध नन्द गांव किसी काम से भी जाता है तो वहाँ पानी नहीं पीता चाहे प्यास से उसकी जान ही चली जाये कहता है राधा मेरी बेटी है बेटी के घरो में पानी नहीं पिया जाता है राधा का ससुराल नंदगाव है इस पुरातन सम्बन्ध को आज भी निभाया जाता है धन्य है बृजभूमि का कण -कण जहाँ कृष्ण और राधा ने जन्म लिया था ।