मोक्ष.

in poetry •  6 years ago  (edited)

मोक्ष।

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अल्पज्ञ जीवात्मा की शक्ति,
अतिशय सीमित होती है।
वह सुख दुःख के भँवरों में,
प्रायः व्याकुल हो जाया करती है।
इन भँवरो के भव-बंधन से,
वह मुक्ति खोजता रहता है।
जन्म मृत्यु के बंधन की मुक्ति से,
वह साधन अपनाया करता है।

Friends stay tuned for the remaining part which is in process.

A beautiful poem on Moksha composed by @indra

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