विरोध करने वाला शत्रु नहीं, अपितु गलत कार्यों का विरोध न करने वाला परम शत्रु होता है। आज अपने और पराये की परिभाषा थोड़ी बदल सी गई है। लोग सोचते हैं कि स्वजन-प्रियजन वही है, जो हर स्थिति में हमारा साथ दें।
वह व्यक्ति किंचित आपका शत्रु नहीं हो सकता जो आपको आपकी गलतियों और कमजोरियों का बार-बार स्मरण कराये अपितु वह आपका शत्रु अवश्य है जो आपके गलत दिशा में बढ़ते हुए कदमों को देखकर भी मुस्कुराता रहे और आपको रोकने का प्रयास न करे।
दुर्योधन ने चाचा विदुर की बात मान ली होती तो महाभारत ना होता।
रावण, भाई विभीषण की बात मानी होती तो लंका विध्वंश ना होता। वास्तव में सच्चा मित्र वही है जो हमारी मति सुधार दे, जीवन को श्रेष्ठ गति देते हुए गोविन्द के चरणों में मति प्रदान कर दे।
तुम्हारी अच्छाई के बाद भी तुम्हारे साथ बुरा होता है, तो उसका जवाब तुम नहीं समय और भगवान देगा...!!!
‼️💓...प्रेम की व्याख्या नहीं होती, अनुभूति होती है-...💓‼️
*जय जय श्रीराम👏*
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